✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर। राजस्थान में प्रशासनिक पुनर्गठन की प्रक्रिया अब और गहराई तक पहुंचती नजर आ रही है। नए जिलों और संभागों की समीक्षा के बाद अब राज्य सरकार की नजर उपखंड कार्यालयों पर है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में करीब 100 उपखंड (SDM ऑफिस) को खत्म करने की योजना पर मंथन चल रहा है। इस दिशा में सरकार ने अब तक आधे जिलों से फीडबैक भी जुटा लिया है।
यह कदम सरकार की उस व्यापक योजना का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत प्रशासन को सुगम, सशक्त और व्यावहारिक बनाने की कोशिश की जा रही है। जानकारी के अनुसार, नई व्यवस्था में दो या तीन तहसीलों पर एक उपखंड कार्यालय रहेगा। इससे न केवल प्रशासनिक व्यय घटेगा, बल्कि अधिकारियों की कार्यक्षमता और निगरानी में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है।
🔹 क्या है प्रस्तावित बदलाव का स्वरूप?
- प्रदेश के वर्तमान में 295 उपखंडों की संख्या में लगभग 100 की कटौती का प्रस्ताव।
- कई उपखंडों की सीमाएं एक-दूसरे में समाहित की जाएंगी।
- प्रस्तावित प्रणाली में एक SDM ऑफिस दो या तीन तहसीलों को संभालेगा।
- नवगठित जिलों के भीतर मौजूद छोटे उपखंड मुख्य निशाने पर।
🔹 अब तक की प्रगति: आधे जिलों से लिया जा चुका है फीडबैक
सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार ने 33 में से करीब 17 जिलों से फीडबैक प्राप्त कर लिया है। स्थानीय प्रशासन से यह पूछा गया है कि किन उपखंडों को बंद किया जा सकता है और किसे बनाए रखना जरूरी होगा।
प्राप्त सुझावों के आधार पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसमें जनसंख्या घनत्व, दूरी, संसाधन, जनसुविधाएं और प्रशासनिक प्रभाव जैसे बिंदुओं को आधार बनाया जा रहा है।
🔹 सरकार के सामने मुख्य उद्देश्य
- प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना: छोटे और गैर-जरूरी उपखंड कार्यालयों के चलते न केवल संसाधनों की बर्बादी हो रही थी, बल्कि अधिकारी भी बंटे हुए रहते थे।
- राजस्व व्यय में कटौती: कम जरूरी उपखंडों को खत्म कर सरकार करोड़ों की बचत करना चाहती है।
- कार्यक्षमता केंद्रित SDM ऑफिस: मजबूत और संसाधनयुक्त उपखंड कार्यालय जो व्यापक क्षेत्र की बेहतर निगरानी कर सकें।
🔹 जनता और प्रशासनिक अधिकारियों की चिंता भी
हालांकि, इस प्रस्तावित योजना पर सवाल भी उठने लगे हैं। कई क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों का मानना है कि इससे दूरदराज के गांवों को प्रशासनिक सुविधाएं मिलने में देरी हो सकती है। वहीं, कुछ अधिकारी इस निर्णय को समय की आवश्यकता बताते हैं और कहते हैं कि मजबूत व कार्यक्षम प्रशासन के लिए केंद्रित उपखंड प्रणाली बेहतर विकल्प है।
🔹 अगले कदम क्या होंगे?
राज्य सरकार के प्रशासनिक सुधार प्रकोष्ठ द्वारा सभी जिलों से अंतिम फीडबैक लेकर जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत तक रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा सकती है। इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी से उपखंडों को खत्म करने की अधिसूचना जारी की जा सकती है।
राजस्थान में यह प्रस्तावित परिवर्तन प्रदेश की प्रशासनिक संरचना में दशकों बाद सबसे बड़ा बदलाव हो सकता है। जहां एक ओर यह योजना संगठित और व्यावसायिक प्रशासन की दिशा में एक कदम मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर इससे ग्रामीण जनता की पहुँच और सेवा समय पर असर पड़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
आने वाले कुछ हफ्ते इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकते हैं।