सोजत न्यूज़ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ तक पढ़ने वाले बच्चों के मिड-डे मील में बड़ा बदलाव किया गया है। अब सप्ताह में एक दिन स्कूल प्रबंधन को अपनी पसंद से बच्चों को भोजन परोसने की छूट दी गई है। मिड-डे मील आयुक्त ने सोमवार से शनिवार तक का तय मेन्यू जारी कर रखा है, लेकिन स्थानीय जरूरतों और स्वाद को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
तय मेन्यू में बदलाव की छूट
अभी तक सरकारी स्कूलों में सोमवार और शनिवार को सब्जी-रोटी, बुधवार और शुक्रवार को दाल-रोटी, मंगलवार को दाल-चावल तथा गुरुवार को खिचड़ी का मेन्यू तय था। लेकिन अब स्कूल प्रबंधन स्थानीय मांग के आधार पर सप्ताह में किसी एक दिन तय मेन्यू से अलग भोजन दे सकेगा।
इसके अलावा, आयुक्त ने गुरुवार को बच्चों को फल देने का निर्देश दिया है। पहले यह व्यवस्था थी कि सप्ताह में किसी भी दिन फल दिए जा सकते थे, लेकिन अब इसे गुरुवार के लिए अनिवार्य किया गया है।
कुक के लिए नई व्यवस्था
मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों के लिए भोजन तैयार करने वाले कुक और हेल्पर की नियुक्ति के मापदंड भी जारी किए गए हैं।
1. 50 बच्चों तक: एक कुक।
2. 51 से 150 बच्चे: दो कुक कम हेल्पर।
3. 400 बच्चे तक: तीन कुक कम हेल्पर।
4. 400 से अधिक: हर 150 बच्चों पर एक अतिरिक्त कुक कम हेल्पर।
कुक कम हेल्पर को हर महीने 2143 रुपए का मानदेय दिया जाएगा, जो अधिकतम 10 माह का होगा।
प्रबंधन को दी गई जिम्मेदारी
स्कूलों के संस्था प्रधानों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार भोजन तय करने की स्वतंत्रता दी गई है। यह कदम बच्चों को पोषण के साथ-साथ स्थानीय स्वाद और उनकी पसंद को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
सरकार का उद्देश्य
इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ उनकी रुचि के अनुरूप भोजन उपलब्ध कराना है। साथ ही, स्कूलों में भोजन वितरण की प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और आकर्षक बनाना भी इसका एक उद्देश्य है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बच्चों के पोषण और उपस्थिति को बढ़ावा देगा।