✍ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली। आज, 21 दिसंबर 2024, खगोलशास्त्र के दृष्टिकोण से एक खास दिन है। यह दिन साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात के रूप में दर्ज होगा। 21 दिसंबर को उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति होती है, जिसके कारण दिन और रात का अनुपात असामान्य रूप से बदल जाता है।
16 घंटे की सबसे लंबी रात
आज की रात लगभग 16 घंटे लंबी होगी। सूर्यास्त के बाद रात का आगाज जल्दी होगा, और सुबह सूर्योदय भी देर से होगा। यह घटना पृथ्वी के झुकाव और उसकी सूर्य के चारों ओर कक्षा में गति के कारण होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से, इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर सबसे कम समय के लिए पड़ती हैं।

आज साल का सबसे छोटा दिन, सबसे लंबी रात: 16 घंटे का अंधकार और केवल 8 घंटे की रोशनी
केवल 8 घंटे का दिन
आज का दिन केवल 8 घंटे का रहेगा। यह साल का सबसे छोटा दिन होता है, क्योंकि सूर्य का झुकाव दक्षिणी गोलार्ध की ओर अधिक रहता है। इसके कारण उत्तर भारत के कई हिस्सों में सुबह का उजाला देर से होता है और शाम जल्दी ढल जाती है।
क्या है शीतकालीन संक्रांति का महत्व?
शीतकालीन संक्रांति का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों महत्व है। वैज्ञानिक दृष्टि से, यह दिन पृथ्वी की धुरी के झुकाव और कक्षीय स्थिति को समझने का अवसर प्रदान करता है। वहीं, आध्यात्मिक रूप से इसे सकारात्मक ऊर्जा और ध्यान का समय माना जाता है। कई परंपराओं में इस दिन का उपयोग योग और ध्यान करने के लिए किया जाता है।
भारत में असर
भारत के उत्तर भागों, जैसे कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस दिन रात के तापमान में भारी गिरावट देखने को मिलती है। ठंड का स्तर चरम पर होता है, और लोग गर्म कपड़ों और अलाव का सहारा लेते हैं।
यह घटना हर साल क्यों होती है?
पृथ्वी की धुरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है, और इसी झुकाव के कारण पृथ्वी पर दिन और रात का अंतर पड़ता है। 21 दिसंबर को उत्तरी गोलार्ध सूर्य से सबसे दूर होता है, जिससे दिन छोटा और रात लंबी हो जाती है।
खगोलशास्त्रियों का क्या कहना है?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह दिन खगोलशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए अध्ययन का महत्वपूर्ण समय है। इस दिन रात के लंबे होने से तारे और आकाशीय पिंडों का अध्ययन करने का अच्छा मौका मिलता है।
तो तैयार रहें साल की सबसे लंबी रात के लिए और प्रकृति के इस अद्भुत चक्र का आनंद लें।