बीकानेर, राजस्थान: हाल ही में बीकानेर जिले में हुई बुलडोजर कार्यवाही ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। यह कार्रवाई जिला प्रशासन द्वारा सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत की गई, जिसमें भाजपा नेता के मकान सहित करीब 80 मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना ने राजनीतिक खेमों में विवाद को जन्म दिया है, और भाजपा के नेता अपनी ही पार्टी के मंत्री पर इस कार्यवाही का आरोप लगा रहे हैं।

बीकानेर में बुलडोजर कार्यवाही: भाजपा नेता के मकान पर चला बुलडोजर, 80 मकानों पर कार्रवाई
कार्रवाई की पृष्ठभूमि
बीकानेर जिले के राजेरा गांव में नेशनल हाईवे निर्माण के लिए 20 फीट चौड़ी सड़क को 40 फीट तक विस्तारित करने की योजना बनाई गई है। इस परियोजना के तहत निर्माणाधीन क्षेत्र में आने वाले मकानों को हटाने का काम किया जा रहा है। 22 दिसंबर को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने पहला नोटिस जारी किया, और 24 दिसंबर से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
भाजपा नेता के मकान पर कार्रवाई
भाजपा के सोशल मीडिया सेल संभाग संयोजक कोजूराम सारस्वत का घर भी इस कार्रवाई की चपेट में आ गया। उनके मकान की दीवार, एक कमरा और शौचालय को तोड़ दिया गया। कोजूराम ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां करते हुए एक वीडियो शेयर किया और इस घटना के लिए जिले के कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने अपने ट्वीट में मंत्री को टैग करते हुए लिखा, “आज हमारा घर टूटा है, कल तुम्हारा गुरूर टूटेगा।”
80 मकानों पर कार्रवाई
सिर्फ कोजूराम का ही नहीं, बल्कि राजेरा गांव में करीब 80 घरों को तोड़ दिया गया है। इस कार्रवाई से प्रभावित लोग अपने घरों को टूटते देख आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि हाईवे को गांव के बाहर से निकाला जा सकता था, लेकिन प्रशासन ने इसे गांव के अंदर से ले जाने का निर्णय लिया, जिससे कई परिवार बेघर हो गए।
राजनीतिक विवाद
इस घटना के बाद भाजपा के नेताओं में आक्रोश है। भाजपा नेता कोजूराम सारस्वत ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई राज्य के कैबिनेट मंत्री की शह पर की गई है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रभावित परिवारों का दर्द
तोड़ी गई संपत्तियों में रहने वाले लोग अब अपने परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें सिर्फ दो दिनों का नोटिस देकर कार्रवाई शुरू कर दी गई। प्रशासन ने 25 दिसंबर को तोड़फोड़ की योजना बनाई थी, लेकिन इससे एक दिन पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी गई। यह जल्दबाजी न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी उदाहरण है।
नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट
नेशनल हाईवे प्राधिकरण द्वारा यह प्रोजेक्ट बीकानेर के पंचायत समिति गुंसाईसर से कतरियासर तक सड़क चौड़ीकरण के लिए लाया गया है। इसके तहत 20 फीट की सड़क को 40 फीट तक बढ़ाने का काम किया जा रहा है। हाईवे निर्माण के लिए राजेरा गांव का चयन किया गया है, लेकिन गांव के अंदर से सड़क निकालने के फैसले को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
प्रशासन का पक्ष
जिला प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई नियमानुसार की गई है। अधिकारियों ने बताया कि यह हाईवे निर्माण परियोजना जनहित में है और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की योजना बनाई जा रही है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन की इस कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं। भाजपा के समर्थक और नेता इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं। वहीं, अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन को हाईवे निर्माण के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश करनी चाहिए थी।
आगे की राह
यह मामला अब केंद्रीय स्तर पर उठ चुका है। भाजपा नेताओं ने मांग की है कि इस प्रोजेक्ट को पुनर्विचार के लिए भेजा जाए और प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाए। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले को उच्च स्तर पर उठाएंगे।