
सोजत/कोटपूतली – कोटपूतली के कीरतपुरा की ढाणी बडियावाली में 23 दिसंबर को खेलते समय बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय मासूम चेतना 7 दिन से फंसी हुई है। न तो उसे पानी मिला है, न खाना। चेतना की स्थिति को लेकर हर कोई चिंतित है, लेकिन अब तक उसे बचाने के प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं।
7 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना
चेतना 150 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी। घटना के 7 दिन बाद भी वह बोरवेल के भीतर ही है। एनडीआरएफ और रेट माइनर टीम लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है। सुरंग बनाकर चेतना को बाहर निकालने का प्रयास हो रहा है।
5 दिन से नहीं दिखा कोई मूवमेंट
रेस्क्यू टीम ने कैमरे के जरिए चेतना पर नजर रखी, लेकिन पिछले 5 दिन से कोई मूवमेंट नजर नहीं आया है। इससे परिवार और ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है। चेतना की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल है, जिससे पूरे गांव में मायूसी का माहौल है।
प्लान ए असफल, अब प्लान बी पर काम
रेस्क्यू ऑपरेशन में पहले प्लान ए के तहत बोरवेल में पाइप डालने का प्रयास किया गया, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया। 25 दिसंबर से प्लान बी के तहत दूसरा बोरवेल खोदकर सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ। हालांकि, पथरीली जमीन और सख्त पत्थरों के कारण सुरंग की खुदाई में देरी हो रही है।
रेस्क्यू टीम के जवानों की चुनौती
170 फीट गहराई तक सुरंग खोदने में लगे जवान हर घंटे बदले जा रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी और थकान के कारण यह आवश्यक है। अब तक केवल 4 फीट सुरंग ही खोदी जा सकी है। रविवार को भी ऑपरेशन जारी रहा, लेकिन अभी 6 फीट और खुदाई बाकी है।
परिवार और गांववालों का रो-रोकर बुरा हाल
चेतना के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव के लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्लान ए और प्लान बी को समय रहते लागू किया गया होता, तो शायद चेतना अब तक बाहर आ चुकी होती।
क्या चेतना को बचाया जा सकेगा?
रेस्क्यू ऑपरेशन के 7वें दिन भी सफलता नहीं मिल पाई है। बच्ची की हालत को लेकर अधिकारी चुप हैं, लेकिन परिवार और ग्रामीणों की उम्मीदें अभी भी कायम हैं। चेतना की जिंदगी बचाने के लिए टीम हरसंभव प्रयास कर रही है।
अब सवाल यह है कि क्या चेतना को समय रहते बचाया जा सकेगा, या यह घटना एक और बड़ी त्रासदी में बदल जाएगी?