✍ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

बीजिंग। चीन ने देशभर में मेडिकल इमरजेंसी घोषित कर दी है। इस बार कोविड-19 के साथ-साथ HMVP (ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस), माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और अन्य घातक वायरसों ने तेजी से पैर पसार लिए हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे और स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
वायरस का कहर: कई बीमारियां एक साथ फैलीं
चीन में कोविड-19 की नई लहर ने एक बार फिर से स्वास्थ्य संकट खड़ा कर दिया है। इसके साथ ही, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और HMVP जैसे वायरस भी तेजी से फैल रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन वायरसों की संक्रमण दर और प्रभावशीलता काफी ज्यादा है, जिससे स्थिति बिगड़ती जा रही है।
अस्पतालों में हाहाकार, बेड नहीं उपलब्ध
चीन के प्रमुख शहरों के अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है। कई अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है और मरीजों को जमीन पर या अस्पताल के बाहर इलाज करवाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी 24 घंटे काम कर रहे हैं, लेकिन मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हालात काबू में नहीं आ रहे।
सरकार का आपातकालीन कदम
चीन की सरकार ने मेडिकल इमरजेंसी की घोषणा के साथ ही कुछ सख्त कदम उठाए हैं:
1. क्वारंटीन केंद्रों की स्थापना: तेजी से नए क्वारंटीन केंद्र बनाए जा रहे हैं।
2. स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती: देशभर से अतिरिक्त स्वास्थ्यकर्मियों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है।
3. दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति: जीवनरक्षक दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि कई वायरसों का एक साथ फैलना एक खतरनाक संकेत है। माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और HMVP जैसे वायरस श्वसन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। कोविड-19 की नई लहर के साथ ये वायरस एक घातक त्रासदी का रूप ले सकते हैं।
पड़ोसी देशों पर असर का खतरा
चीन की इस मेडिकल इमरजेंसी का असर पड़ोसी देशों पर भी पड़ सकता है। वायरस के तेजी से फैलने और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के कारण संक्रमण दूसरे देशों में भी फैलने की आशंका है।
चीन से सबक लेने की जरूरत
चीन की मौजूदा स्थिति से अन्य देशों को सतर्क होने की जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना और वायरसों के प्रभाव को रोकने के लिए तैयारी करना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए।
*चीन में इस समय स्वास्थ्य आपदा ने एक बार फिर दुनिया को सतर्क कर दिया है। यह संकट केवल चीन का नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है।*