✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए भाजपा राजस्थान में अपनाए गए रणनीतिक फार्मूले को दिल्ली में लागू कर सकती है। फरवरी 2025 में होने वाले चुनाव को देखते हुए पार्टी ने संकेत दिए हैं कि वह मुफ्त योजनाओं के प्रति अपनी धारणा में बदलाव कर सकती है।
राजस्थान में सफलता का आधार बना “मुफ्त योजना जारी रखने” का वादा
2024 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस की मुफ्त योजनाओं का प्रभाव था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जन-आकर्षक योजनाओं के चलते भाजपा को लोगों का भरोसा जीतने के लिए घोषणा करनी पड़ी कि गहलोत की किसी भी योजना को बंद नहीं किया जाएगा।
यह रणनीति कारगर रही, और भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा राजस्थान में सरकार बनाने में सफल रही। इस वादे पर अमल करते हुए, भाजपा ने अब तक राजस्थान में किसी भी मुफ्त योजना को बंद नहीं किया है।
दिल्ली में “आप” की मुफ्त योजनाओं का मुकाबला
दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी (आप) की मुफ्त योजनाओं का व्यापक प्रभाव है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुफ्त बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं ने मतदाताओं को आकर्षित किया है। भाजपा अब इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं को जारी रखने का भरोसा दिला सकती है।
31 दिसंबर को केजरीवाल द्वारा दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को ₹18,000 प्रति माह वेतन देने की घोषणा के बाद भाजपा में भी यह मांग उठने लगी है कि पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने का वादा किया जाए।
नई रणनीति: मुफ्त योजनाओं के साथ धार्मिक समर्थन
भाजपा अब दिल्ली में मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को लागू करने के वादे के साथ धार्मिक समुदायों का समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही है। भाजपा के नेताओं का मानना है कि यदि मतदाताओं को यह भरोसा हो जाए कि भाजपा शासन में भी मुफ्त सुविधाएं मिलती रहेंगी, तो “आप” के समर्थक भी भाजपा को वोट दे सकते हैं।
राजनीतिक समीकरण
भाजपा की इस नई रणनीति से साफ है कि पार्टी अब “मुफ्त योजनाओं” को नजरअंदाज नहीं कर सकती। राजस्थान में सफलता के बाद भाजपा को यह समझ में आ गया है कि मुफ्त योजनाएं मतदाताओं को प्रभावित करने का सशक्त माध्यम हैं।
दिल्ली चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि भाजपा की यह रणनीति कितना असर दिखाती है। फिलहाल, पार्टी का पूरा फोकस केजरीवाल के “मुफ्त मॉडल” को टक्कर देने और अपने मतदाताओं को भरोसे में लेने पर है।