✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ने पार्टी में युवा और नए चेहरों को प्राथमिकता देने का संकेत देते हुए बड़ा बयान दिया है। 31 दिसंबर को जयपुर में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि जब पेड़ पर नए पत्ते आते हैं, तो पुराने अपने आप हट जाते हैं। उन्होंने इस बयान से साफ कर दिया कि पार्टी के संगठन में नई सोच और नई ऊर्जा को जगह दी जाएगी।
मंडल और जिला अध्यक्षों के लिए आयु सीमा तय
2 जनवरी को एक चैनल पर बात करते हुए अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि 35 से 45 वर्ष की उम्र के कार्यकर्ताओं को मंडल अध्यक्ष और 45 से 60 वर्ष के कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। राजस्थान में भाजपा के 1135 मंडल अध्यक्ष और करीब 50 जिला अध्यक्ष हैं। इस फैसले से पार्टी के मौजूदा संगठन में खलबली मच गई है, क्योंकि अधिकांश मंडल और जिला अध्यक्ष इस आयु सीमा से बाहर हैं।
पुराने सिस्टम को बदला जाएगा
भाजपा में अब तक संगठनात्मक पद विधायकों और प्रभावशाली नेताओं की सिफारिश पर दिए जाते रहे हैं। लेकिन अग्रवाल के इस ऐलान ने पुराने सिस्टम को चुनौती देते हुए एक नया मापदंड स्थापित कर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि अब सिर्फ युवा और नए चेहरों को ही मौका मिलेगा।
बुजुर्ग नेताओं को झटका
इस निर्णय से उन नेताओं को बड़ा झटका लगा है, जो 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं और जिला अध्यक्ष बनने की उम्मीद लगाए बैठे थे। यह फैसला पार्टी के भीतर बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं के लिए एक संकेत माना जा रहा है कि संगठन में नई पीढ़ी को लाना प्राथमिकता है।
संगठन चुनावों में देरी
गौरतलब है कि भाजपा के संगठन चुनाव 15 दिसंबर तक पूरे होने चाहिए थे, लेकिन अभी तक मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव नहीं हो पाए हैं। 2 जनवरी को भाजपा ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को राजस्थान का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।
राजनीतिक नियुक्तियों पर इंतजार
संगठन के साथ-साथ सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार भी लंबा खिंच रहा है। भाजपा के 70 निगम और बोर्डों में से अब तक केवल 7 पर ही नियुक्तियां हुई हैं। पार्टी में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत लागू होने के बावजूद कई नेताओं के पास संगठन और सरकार दोनों के पद हैं, जिससे असंतोष बढ़ रहा है।
नए बदलाव की तैयारी
अग्रवाल के इस बयान को भाजपा के संगठन में व्यापक बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है। पार्टी में नई पीढ़ी को बढ़ावा देने के इस निर्णय का असर आगामी विधानसभा चुनावों और संगठन की कार्यप्रणाली पर साफ दिखाई देगा।
क्या ये बदलाव भाजपा को नई ऊर्जा देगा या अंदरूनी असंतोष बढ़ाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।