✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली। 2013 के बहुचर्चित रेप मामले में आरोपी आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा कारणों के आधार पर अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने यह जमानत 31 मार्च तक की अवधि के लिए मंजूर की है। यह राहत उन्हें हृदय संबंधी बीमारी के इलाज के लिए दी गई है।
शर्तों के साथ मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत देते समय कुछ कड़ी शर्तें भी लगाई हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि जमानत की अवधि के दौरान आसाराम को सिर्फ अपने इलाज पर ध्यान केंद्रित करना होगा और किसी भी प्रकार की धार्मिक सभा या सार्वजनिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।
अस्पताल में इलाज का आदेश
आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने किसी सरकारी या मान्यता प्राप्त अस्पताल में इलाज करवाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इस अवधि के दौरान वह अपने अनुयायियों से दूरी बनाए रखें और कानून-व्यवस्था भंग करने वाले किसी भी कार्य से बचें।
पृष्ठभूमि
आसाराम पर 2013 में एक नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था। यह मामला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था। आसाराम को दोषी ठहराया गया था और निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मेडिकल आधार पर राहत की मांग
आसाराम के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उनकी तबीयत खराब है और उन्हें हृदय संबंधी गंभीर समस्याएं हैं। इन दलीलों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा कारणों को मान्यता देते हुए उन्हें जमानत देने का निर्णय लिया।
सख्त निगरानी में रहेंगे आसाराम
आसाराम की जमानत के दौरान उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया गया, तो राहत तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी।
पीड़िता के परिवार का विरोध
इस निर्णय पर पीड़िता के परिवार ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि न्याय के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। परिवार ने यह भी आशंका जताई कि आसाराम बाहर आकर गवाहों और पीड़िता को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।
आसाराम का बयान
आसाराम के वकील ने बताया कि उनका स्वास्थ्य गंभीर है और उन्हें राहत मिलने से इलाज संभव हो सकेगा। वहीं, उनके अनुयायियों ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है।
निगरानी के बावजूद सवाल बरकरार
आसाराम को मिली जमानत ने एक बार फिर से इस मामले को सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जमानत की शर्तों का कितना पालन होता है और अदालत इस पर क्या रुख अपनाती है।
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