राजस्थान में पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नवसृजन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस प्रक्रिया में 2011 की जनगणना को आधार माना गया है। साथ ही, विभिन्न जिलों और क्षेत्रों की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार आबादी के लिए अलग-अलग प्रावधान तय किए गए हैं। इस पूरी प्रक्रिया को 20 जनवरी से 15 अप्रैल 2025 के बीच पूरा करने की योजना बनाई गई है।

राजस्थान में होगा ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन: नए दिशा-निर्देश और प्रक्रिया का ऐलान
ग्राम पंचायत पुनर्गठन: जनसंख्या आधारित मानक
ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन में न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या का ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
- आम क्षेत्रों के लिए:
- न्यूनतम जनसंख्या: 3,000
- अधिकतम जनसंख्या: 5,500
- विशेष क्षेत्रों के लिए:
- सहरिया क्षेत्र (किशनगंज, शाहबाद) और चार मरुस्थलीय जिलों (बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर):
- न्यूनतम जनसंख्या: 2,000
- अधिकतम जनसंख्या: 4,000
- अनुसूचित क्षेत्र (बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर):
- यही जनसंख्या मानक लागू।
- सहरिया क्षेत्र (किशनगंज, शाहबाद) और चार मरुस्थलीय जिलों (बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर):
- ग्रामवासियों की मांग पर गांवों को दूसरी ग्राम पंचायत में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन दो ग्राम पंचायतों की दूरी 6 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
पंचायत समितियों का पुनर्गठन: बड़े बदलाव के संकेत
पंचायत समितियों के पुनर्गठन और नवसृजन के लिए भी आबादी और ग्राम पंचायतों की संख्या को आधार बनाया गया है:
- जिन पंचायत समितियों में 40 या उससे अधिक ग्राम पंचायतें और 2 लाख या उससे अधिक जनसंख्या है, उन्हें पुनर्गठित किया जाएगा।
- नवसृजित पंचायत समितियों में ग्राम पंचायतों की संख्या न्यूनतम 25 रखनी होगी।
उदाहरण:
यदि किसी पंचायत समिति में 42 ग्राम पंचायतें हैं, तो इसे दो भागों में बांटा जाएगा:
- पहली समिति में 25 ग्राम पंचायतें।
- दूसरी समिति में शेष 17 ग्राम पंचायतें।
जिला कलेक्टर निकटवर्ती पंचायत समितियों से ग्राम पंचायतों को समायोजित कर सकते हैं, ताकि प्रशासनिक संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
प्रक्रिया और समय-सीमा
ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया निम्न चरणों में पूरी होगी:
- 20 जनवरी से 18 फरवरी 2025:
जिला कलेक्टर प्रस्ताव तैयार कराएंगे। - 20 फरवरी से 21 मार्च 2025:
प्रस्तावों का प्रकाशन किया जाएगा और जनता से आपत्तियां मांगी जाएंगी। - 23 मार्च से 1 अप्रैल 2025:
प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। - 3 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025:
अंतिम प्रस्ताव तैयार करके पंचायती राज विभाग को भेजे जाएंगे।
प्रमुख बिंदु:
- पुनर्गठित पंचायत समितियों में प्रशासनिक और भौगोलिक संतुलन का ध्यान रखा जाएगा।
- इस प्रक्रिया का उद्देश्य ग्रामीण विकास को प्रभावी बनाना और प्रशासनिक कामकाज को सुगम करना है।
- जिला कलेक्टरों को इस पूरी प्रक्रिया का प्रमुख जिम्मा सौंपा गया है।
जनभागीदारी और प्रशासनिक सुधार की उम्मीद
ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन से ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। इससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, और गांवों की मांगों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। जनता से आपत्तियां मांगने और उन्हें निस्तारित करने की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि सभी फैसले पारदर्शी और जनहित में हों।