राष्ट्रीय स्मृति परिसर में चिह्नित हुई डेढ़ एकड़ जमीन, राजनीति में नई हलचल
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके समाधि स्थल को लेकर चल रहे विवाद ने अब एक नई दिशा ले ली है। मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर में उनके मेमोरियल के लिए डेढ़ एकड़ जमीन चिह्नित कर कांग्रेस को राजनीतिक शतरंज में एक ऐसी चाल से चौंका दिया है, जिसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।

मनमोहन सिंह मेमोरियल: बीजेपी की ‘मनमोहन चाल’ से कांग्रेस को दिया नया राजनीतिक झटका
जमीन आवंटन और ट्रस्ट की अनिवार्यता
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मनमोहन सिंह के परिवार से संपर्क कर उन्हें इस बारे में जानकारी दी है। बताया गया है कि समाधि स्थल की जमीन आवंटित करने के लिए एक ट्रस्ट बनाना होगा। बिना ट्रस्ट के जमीन का आवंटन संभव नहीं है। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में यह जमीन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के पास चिह्नित की गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में ही अधिकारियों ने इस स्थल का दौरा किया था। हालांकि, परिवार की तरफ से अब तक इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
परिवार की चुप्पी और शोक का माहौल
सरकार के प्रस्ताव पर मनमोहन सिंह के परिवार से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि परिवार अभी शोक में है और इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
कांग्रेस-बीजेपी के बीच राजनीति का नया मोर्चा
मनमोहन सिंह की समाधि स्थल को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर उनके निधन के तुरंत बाद ही शुरू हो गया था। कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान कर रही है। वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
अब जब बीजेपी सरकार ने समाधि स्थल के लिए राष्ट्रीय स्मृति परिसर में जमीन चिह्नित कर दी है, तो कांग्रेस के लिए यह एक नई चुनौती बन गई है। यदि कांग्रेस इस पर सवाल उठाती है, तो सरकार के पास यह तर्क है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि भी इसी परिसर में है।
बीजेपी की रणनीति और कांग्रेस की चुनौती
बीजेपी ने इस कदम से कांग्रेस को राजनीतिक तौर पर बैकफुट पर लाने की कोशिश की है। प्रणब मुखर्जी की बेटी ने इस जगह को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया था। अब सरकार ने गेंद कांग्रेस के पाले में डाल दी है।
कांग्रेस के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि वह इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया दे। यदि वे इस पर विरोध जताते हैं, तो उन्हें जवाब देना होगा कि प्रणब मुखर्जी की समाधि का समर्थन करने के बावजूद वे इस फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं।
आने वाले समय में राजनीतिक समीकरण
बीजेपी सरकार के इस फैसले ने कांग्रेस के सामने एक नई राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और बीजेपी इसे कैसे भुनाती है।