
प्राचीन परंपराएं और पूजन का महत्व
भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। मान्यता है कि सही विधि और नियमों से पूजा करने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
पूजन करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। ये नियम न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।
पूजन से जुड़े महत्वपूर्ण नियम:
- पंचदेवों की अनिवार्यता
सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु – इन पांच देवताओं की पूजा हर अनुष्ठान में आवश्यक मानी गई है। इन्हें नियमित रूप से पूजने से लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है। - विशेष चढ़ावे से जुड़े नियम
- शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
- मां दुर्गा को दूर्वा (एक प्रकार की घास) नहीं चढ़ाएं।
- सूर्यदेव को शंख के जल से अर्घ्य न दें।
- तुलसी के पत्तों का महत्व
- बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
- तुलसी के पत्ते 11 दिनों तक बासी नहीं माने जाते।
- पूजन का समय और विधि
- पूजन दिन में पांच बार करें: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 5-6 बजे), प्रातः (9-10 बजे), दोपहर, संध्या और रात्रि।
- प्रत्येक पूजन के बाद आरती और भगवान को शयन करवाएं।
- पवित्रता का ध्यान
- गंगाजल हमेशा तांबे के बर्तन में रखें।
- प्लास्टिक और अपवित्र धातु के बर्तनों का उपयोग न करें।
- मूर्ति और तस्वीरों के नियम
- घर में खंडित मूर्तियां न रखें।
- भगवान की मूर्तियों की ऊंचाई 1, 3, 5, 7 या 9 इंच तक होनी चाहिए।
- गणेश, देवी और अन्य प्रतिमाओं की संख्या सीमित रखें।
- आरती और परिक्रमा के नियम
- भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, और मुख की तीन बार आरती करें।
- विष्णु की चार, गणेश की तीन, दुर्गा की एक और शिव की आधी परिक्रमा करें।
- दीपक और शंख
- दीपक से दीपक जलाना वर्जित है।
- अपवित्र अवस्था में शंख न बजाएं।
- वृक्ष पूजा और विशेष दिन
- बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल न अर्पित करें।
- रविवार, एकादशी, द्वादशी और संक्रांति पर तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
- मंदिर की पवित्रता
- मंदिर में पर्दा लगाएं और भगवान के वस्त्र या आभूषण मंदिर के ऊपर न रखें।
- पूजाघर में माता-पिता या पित्रों की तस्वीरें न रखें।
शास्त्रों के अनुसार, इन नियमों का पालन करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है।
आपका पूजन विधिपूर्वक और पूर्ण श्रद्धा से हो, यही हमारी शुभकामना है।