बजट सत्र में राजस्थानी को मान्यता दिलाने की मांग
रिपोर्ट पवन पहाड़िया
मूंडवा – अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति राजस्थानी भाषा प्रसार संस्थान के संस्थापक लक्ष्मण दान कविया ने भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ को ज्ञापन लिखकर बजट सत्र में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की पुरज़ोर मांग की है। कविया ने ज्ञापन में लिखा कि विश्व की पच्चीसवीं एवं भारत की तीसरी समृद्ध भाषा राजस्थानी राजनैतिक उदासीनता के कारण आजादी के 75 वर्षों बाद भी मान्यता की मोहताज है। दूसरी बार राजस्थान को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि राजस्थानी जिनकी मातृभाषा है वो उपराष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ा रहे हैं। उपराष्ट्रपति महोदय को कविया ने स्मरण कराया कि 12 जुलाई 2022 में तत्कालीन भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल से एक 17 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर मिला था। उसमें आपश्री ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संयोगवश मैं भी उस प्रतिनिधि मंडल का अहम हिस्सा था। जो कार्य राजस्थान के रहवासी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत नहीं कर पाए उसे अब पूरा करने के लिए राजस्थान के करोड़ों नागरिक आपसे आस लगाए बैठे हैं। सत्ता आती जाती रहती है लेकिन कुछ काम ऐसे होते है जिन्हें कराने वाला व्यक्ति महान एवं इतिहास में अमर हो जाता है। राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा भी आपको इतिहास में अमर करने वाला हो सकता है। राजस्थानी आज राजस्थान सहित विश्व के की देशों में पढ़ाई जाती है। राजस्थानी भाषा में हजारों शिक्षार्थी एम ए एवं पीएचडी किये हुए हैं। दुर्भाग्यवश केन्द्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनेताओं ने अपनी मातृभाषा के प्रति उदासीनता बनायें रखी जिसकी वजह से राजस्थानी भाषा को सम्मान नहीं मिल पाया। हिंदी भाषा का पक्ष मजबूत करने के लिए राजस्थानी भाषा ने जो कुर्बानी दी है इसको हिंदी भाषी लोगों को नहीं भूलना चाहिए। कविया ने आग्रहपूर्वक उपराष्ट्रपति महोदय से अनुरोध किया है कि आप इस शुभ कार्य में विशेष रूचि लेने का श्रेय एवं प्रेय कार्य करावें।