सांसदों को अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए – कविया

रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार पवन पहाड़िया डेह नागौर
नागौर, 11 जुलाई 2025
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के संस्थापक लक्ष्मण दान कविया ने प्रदेश के सभी सांसदों को ज्ञापन लिखकर राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता दिलाने का मुद्दा लोकसभा में उठाने की पुरजोर मांग की है। कविया ने ज्ञापनों में लिखा कि राजस्थानी भाषा विश्व की 25 वीं एवं भारत की तीसरी साहित्य समृद्ध भाषा है। इसका विशाल शब्दकोश अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं।इसकी लोकगाथाएं, लोककथाएं,लोकगीत, कहावतें,मुहावरे आदि साहित्य समृद्धि का अलग ही संदेश देते हैं।भाषायी मापदंड पर सोलह आना खरी उतरने वाली राजस्थानी भाषा के पास राजनैतिक कारणों से मान्यता से वंचित रखा गया है जबकि राजस्थानी से हर क्षेत्र एवं दृष्टि से पीछे रहने वाली भाषाओं को राजनैतिक कारणों से मान्यता मिल गई। हमारे संविधान में भाषायी मापदंड को आज की राजनीति नजरंदाज कर राजनीति को हावी कर रखा है।कविया ने लिखा कि राजस्थान का यह दुर्भाग्य रहा है कि यहां से चुनकर जाने वाले सांसद भी अपनी मातृभाषा के मान सम्मान के प्रति उदासीन है। जनता में भी नासमझी के कारण जागृति का पूर्णतया अभाव है। राजस्थान में आज भी बाहर के लोगों की राजनीति हावी है इस कारण राजस्थानी भाषा की मान्यता का गांधीवादी विचारधारा का आंदोलन सरकारों द्वारा नजरंदाज किया जा रहा है। यदि सांसद इसी तरह से उदासीन रहे तो आने वाली पीढ़ियां उन्हें माफ नहीं करेगी अतः यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के सभी सांसदों को अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर संसद के मानसून सत्र में राजस्थानी भाषा की कानूनी मान्यता की पुरजोर मांग करने का श्रेय एवं प्रेय कार्य करना चाहिए।