पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर को कभी देश का ‘दुबई’ बनाने का सपना देखा गया था। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत यहां बड़े पैमाने पर विकास योजनाएं शुरू की गई थीं। लेकिन लगभग एक दशक बाद, ये महत्वाकांक्षी परियोजना विवादों और असंतोष के घेरे में है। हाल में चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक के बयान ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है।
CPEC और ग्वादर: शुरुआत और आज की स्थिति
2015 में जब CPEC परियोजना की शुरुआत हुई, तो इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक अहम हिस्सा बताया गया। इसके तहत बलूचिस्तान में 62 अरब डॉलर की योजनाओं का ऐलान किया गया, जिनमें एयरपोर्ट, बंदरगाह, हाइवे, रेलवे स्टेशन और पावर प्लांट शामिल थे। ग्वादर को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का केंद्र और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हब बनाने की योजना थी।
हालांकि, 2025 तक इन योजनाओं का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन न होने और स्थानीय लोगों के साथ किए गए वादों को पूरा न करने से स्थिति उलट हो गई। हाल ही में चीन के पॉलिटिकल सेक्रेटरी वांग शेंगजी ने एक इंटरव्यू में कहा कि CPEC को लेकर चीन को गंभीर चिंताएं हैं। उनका यह बयान ग्वादर में चीनी कर्मचारियों पर हमलों के संदर्भ में था।

GWADAR: पाकिस्तान का ‘दुबई’ बनने का सपना टूटा, लग रही गधों की फैक्ट्री, चीनी नेता के इंटरव्यू से दोनों देशों में बवाल
चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
वांग शेंगजी के इंटरव्यू में यह संकेत भी मिला कि पाकिस्तान ने ग्वादर के लोगों को जरूरत से ज्यादा बड़े सपने दिखाए। इससे लोगों की उम्मीदें बढ़ गईं, लेकिन रोजगार और विकास के मामले में वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इसके उलट, स्थानीय लोगों को अपनी जमीनें गंवानी पड़ीं, और मछुआरों को भी अपनी आजीविका खोनी पड़ी।
ग्वादर बंदरगाह, जिसे चीन ने विकसित किया, अब पूरी तरह से चीनी नियंत्रण में है। स्थानीय लोगों को इसे उपयोग करने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ती है। इससे ग्वादर के लोग और अधिक नाराज हो गए हैं।
ग्वादर: हाई सिक्योरिटी जेल और गधों की फैक्ट्री
ग्वादर में बढ़ती असुरक्षा के कारण इसे एक हाई-सिक्योरिटी क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया है। चीनी कर्मचारियों के लिए अलग कॉलोनियां बनाई गई हैं, और हर नुक्कड़ पर सुरक्षा चौकियां हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके शहर को एक जेल में बदल दिया गया है।
स्थिति को और बदतर बनाते हुए, ग्वादर में एक ऐसी फैक्ट्री खोली गई, जहां गधों को मारा जाता है। यहां अफ्रीका से गधे आयात कर उनके मांस और खाल को चीन भेजा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल 2,16,000 गधों का मांस और खाल चीन भेजी जाती है।
गधे का मांस चीन में हेबेई प्रांत में बेहद लोकप्रिय है, जहां इसका उपयोग बर्गर बनाने में होता है। वहीं, गधे की खाल से निकाले गए कोलेजन का इस्तेमाल पारंपरिक चीनी दवा एजियाओ में किया जाता है। एजियाओ का उपयोग कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने में भी होता है।
स्थानीय असंतोष और अलगाववादी आंदोलन
ग्वादर के स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलने और संसाधनों के दोहन से उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। बलूचिस्तान पहले से ही अलगाववादी आंदोलन और आतंकवाद की आग में झुलस रहा है। अब चीनी नागरिकों पर हमले और ग्वादर में अस्थिरता इस नाराजगी को और बढ़ा रहे हैं।
चीन और पाकिस्तान के रिश्तों पर असर
CPEC को लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच खटास अब खुलकर सामने आने लगी है। वांग शेंगजी के इंटरव्यू के बाद बीजिंग ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि कुछ शक्तियां CPEC को खत्म करना चाहती हैं और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। पाकिस्तान ने भी इस बयान को खारिज कर दिया।