✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

/सोजत। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को रोकने के ऐलान से पहले ही पाकिस्तान में सिंधु नदी को लेकर जबरदस्त बवाल खड़ा हो गया है। सिंधु नदी पर पाकिस्तान सरकार द्वारा प्रस्तावित 6 नई नहरों के निर्माण को लेकर सिंध प्रांत में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। यह गुस्सा इतना उग्र हो गया कि प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के नौशहरो फिरोज स्थित घर को आग के हवाले कर दिया।
पाकिस्तान सरकार की योजना है कि सिंधु नदी पर 6 नई नहरों का निर्माण कर चोलिस्तान रेगिस्तान को सिंचित किया जाए, जिससे लगभग 4 लाख एकड़ बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया जा सके। यह परियोजना पंजाब प्रांत में लागू की जानी है। लेकिन सिंध के नेताओं और जनता का मानना है कि यह एक बार फिर से पंजाब को प्राथमिकता देने वाला भेदभावपूर्ण निर्णय है, जिससे सिंध प्रांत को उसके हिस्से का पानी नहीं मिलेगा और वहां पानी का गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा।
भड़क उठा सिंध, गृह मंत्री का घर जला डाला
नहर परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे हिंसक हो गए। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के घर पर धावा बोल दिया। घर को आग के हवाले कर दिया गया और अंदर की संपत्ति को तहस-नहस कर दिया गया। घर के बाहर खड़ी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस और सुरक्षाबलों के पहुंचने तक भारी नुकसान हो चुका था।
पानी बंटवारे पर सिंध बनाम पंजाब का टकराव
पाकिस्तान में लंबे समय से सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांतों की शिकायत रही है कि केंद्र सरकार की नीतियां केवल पंजाब प्रांत के हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। सिंधु नदी के जल पर यह विवाद नया नहीं है, लेकिन इस बार मामला इस हद तक बिगड़ा है कि जनाक्रोश गृह मंत्री तक के घर को राख में तब्दील कर गया।
पीपीपी समेत सिंध के लगभग सभी राजनीतिक दल इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। पीपीपी नेता खुले मंचों पर कह चुके हैं कि यदि सिंध को उसके हिस्से का पानी नहीं दिया गया, तो पूरे पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।
भारत की चाल से और घबराया पाकिस्तान
दिलचस्प बात यह है कि यह सब उस समय हो रहा है जब भारत ने सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की बात कही है और पाकिस्तान को सिंधु नदी के पानी की आपूर्ति पर संभावित रोक की चेतावनी दी है। भारत की इस रणनीतिक नीति से पाकिस्तान पहले से ही पानी को लेकर चिंतित है। अब जब देश के भीतर ही सिंधु नदी को लेकर आंतरिक झगड़े और बगावत जैसे हालात बन गए हैं, तो पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं।
हाईवे जाम से लेकर विरोध रैलियों तक
सिंध में विरोध केवल सोशल मीडिया या राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा। हाल ही में कई प्रमुख हाईवे जाम कर दिए गए थे। लोगों ने “पानी बचाओ, सिंध बचाओ” के नारे लगाते हुए बड़े पैमाने पर रैलियां निकालीं। नागरिक संगठनों ने इस परियोजना को “पानी की लूट” बताते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की है।
भारत द्वारा सिंधु जल पर नियंत्रण की नीति ने पाकिस्तान के भीतर पहले से ही जटिल आंतरिक पानी के बंटवारे के विवाद को और उभार दिया है। सिंधु नदी, जो कभी जीवनरेखा मानी जाती थी, अब पाकिस्तान के लिए बगावत और विभाजन का कारण बनती दिख रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा पाकिस्तान की सियासत और सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित कर सकता है।