
जयपुर। राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले की ग्राम पंचायत कल्याणपुरा कलां के ग्राम कुहाड़ा में स्थित ऐतिहासिक छापाला भैरूजी मंदिर का लक्खी मेला इस वर्ष 30 जनवरी को आयोजित होगा। अरावली की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित इस मंदिर के मेले को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह है। पिछले एक महीने से ग्रामीण 551 क्विंटल चूरमे की प्रसादी तैयार करने में जुटे हुए हैं, और खास बात यह है कि यह पूरा काम बिना हलवाई के किया जा रहा है।
मेले की तैयारी में अनोखा योगदान
इस मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस बार ग्रामीणों ने 551 क्विंटल चूरमा बनाने का लक्ष्य रखा है। इस अद्वितीय प्रयास में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक विधियों का संयोजन देखने को मिल रहा है। चूरमे की बाटियां बनाने के लिए JCB मशीन का उपयोग किया जा रहा है, जबकि बाटियों को साफ करने के लिए कंप्रेसर और थ्रेसर मशीन का उपयोग किया जा रहा है।
बाटियों को बड़े जगरे में सेकने के बाद, उनकी सफाई के लिए कंप्रेसर का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि किसी प्रकार की मिट्टी या राख का अंश न रह जाए। चूरमा मिलाने के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। कार्यकर्ता हाथ और पांव में पॉलीथिन पहनकर प्रसादी तैयार कर रहे हैं।
100 ग्रामीण, 200 मीटर का जगरा, और 551 क्विंटल प्रसादी
भंडारे के लिए 100 से अधिक ग्रामीण 200 मीटर लंबे जगरे में बाटियां सेक रहे हैं। इस वर्ष 551 क्विंटल प्रसादी बनाई जा रही है, जो पिछले वर्ष के 515 क्विंटल के रिकॉर्ड को तोड़ेगी। ग्रामीणों के इस समर्पण और प्रयास को देखकर हर कोई प्रभावित है।
प्रशासन और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले में हजारों वाहनों की पार्किंग की जिम्मेदारी ग्रामीण स्वयं संभालते हैं। वहीं, सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन भी मुस्तैद है। मेले के दौरान चार थानों से पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। साथ ही, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की व्यवस्था भी की गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
छापाला भैरूजी मंदिर का महत्व
छापाला भैरूजी का लक्खी मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ग्रामीण सहयोग, समर्पण और परंपराओं का अनूठा उदाहरण भी है। श्रद्धालु इस मेले में बड़ी संख्या में भाग लेकर भैरूजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और इस प्रसादी का आनंद लेते हैं।
(✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा)