✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
राजस्थान के किसानों और ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। राजस्थान पटवार संघ के आह्वान पर 13 जनवरी से जारी पटवारियों की हड़ताल 18 दिन बाद समाप्त हो गई है। सरकार और पटवार संघ के पदाधिकारियों के बीच सफल वार्ता के बाद शुक्रवार को प्रदेशभर के पटवारी अपने-अपने कार्यालयों में लौट आए। इससे किसानों के अटके हुए जरूरी काम अब जल्द ही पूरे हो सकेंगे।
पटवारियों की हड़ताल का कारण और मांगें
राजस्थान पटवार संघ ने अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर यह आंदोलन शुरू किया था। मुख्य मांगों में शामिल थीं:
✅ ग्रेड पे में बढ़ोतरी
✅ भत्तों में संशोधन
✅ कार्यालय की मूलभूत सुविधाओं में सुधार
✅ कार्यालय सहायकों की नियुक्ति
✅ सरकारी सुरक्षा और सुविधाएं
पटवारी संघ का कहना था कि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिया, लेकिन मांगे पूरी नहीं हुईं। इसीलिए उन्होंने आंदोलन का रास्ता अपनाया।
पटवारियों की हड़ताल से किसानों को हुई थी परेशानी
पटवारियों के कार्य बहिष्कार से किसानों और ग्रामीणों के भूमि संबंधी कार्य ठप पड़ गए थे। खसरा-नकल, गिरदावरी रिपोर्ट, नामांतरण, फसली ऋण वितरण, सरकारी योजनाओं का लाभ आदि कार्य प्रभावित हो रहे थे। हजारों किसान परेशान थे और कई जगह हड़ताल खत्म कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी हुए थे।
वार्ता सफल, सरकार ने दिए आश्वासन
सरकार और पटवार संघ के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई। अंततः पटवारियों की कुछ मांगें मान ली गईं और सरकार ने शेष मांगों पर सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया। इसके बाद पटवारी संघ ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।
पटवारियों की वापसी से कामकाज फिर हुआ सामान्य
शुक्रवार से राज्यभर में पटवारियों ने फिर से अपना कार्यभार संभाल लिया है। पटवारियों की वापसी से किसानों ने राहत की सांस ली है। अब सभी लंबित कार्य तेजी से निपटाए जाएंगे और राजस्व कार्यों की गति फिर से सामान्य हो जाएगी।
किसानों और आम जनता को राहत
पटवारियों के काम पर लौटने से सबसे ज्यादा राहत किसानों और ग्रामीण जनता को मिली है। अब राजस्व रिकॉर्ड में सुधार, फसल बीमा योजनाओं के लाभ, ऋण स्वीकृति, नामांतरण और अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्य जल्द ही पूरे हो सकेंगे।
आगे क्या?
राजस्थान सरकार ने संकेत दिया है कि पटवारियों की मांगों पर चरणबद्ध तरीके से निर्णय लिया जाएगा। पटवारी संघ ने भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार अपने वादों पर अमल नहीं करती, तो वे फिर से आंदोलन कर सकते हैं। फिलहाल, सरकार और पटवारी संघ के बीच समझौते से प्रदेश में राजस्व प्रशासन पटरी पर लौट आया है।
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