✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर: राजस्थान की भजनलाल सरकार आगामी विधानसभा बजट पेश करने की तैयारियों में जुटी है। हर वर्ग को इस बजट से उम्मीदें हैं, लेकिन बढ़ता कर्ज और राजस्व में कमी सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। राज्य पर कर्ज का बोझ अब 6.40 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है और राजस्थान देश के टॉप-10 सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले राज्यों में सातवें स्थान पर है। वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रहण की रफ्तार भी धीमी रही है, जिससे कर्ज का यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का लगभग 39% हिस्सा कर्ज से जुड़ा हुआ है, जो कि कर्ज सीमा के करीब है। यदि यह सीमा पार होती है, तो राज्य की आर्थिक स्थिरता पर खतरा बढ़ सकता है।
हर व्यक्ति पर ₹80,000 का कर्ज!
आर्थिक मामलों के जानकार सीए पंकज घीया के अनुसार, राजस्थान पर वर्तमान में ₹6.40 लाख करोड़ का कर्ज है। इसके चलते प्रदेश में हर व्यक्ति पर औसतन ₹80,000 का कर्ज हो चुका है। साथ ही, राज्य सरकार को अपने कुल ग्रॉस रेवेन्यू कलेक्शन (सकल राजस्व संग्रहण) का 14% केवल कर्ज के ब्याज चुकाने में खर्च करना पड़ रहा है।
क्या कर्ज लेना बुरा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज लेना बुरा नहीं होता, बल्कि यह राज्य के विकास के लिए आवश्यक होता है। लेकिन यदि कर्ज की राशि का सही इस्तेमाल नहीं किया जाए, तो यह प्रदेश के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए घातक बन सकता है। वर्तमान में राजस्थान अपने राजस्व का 14% केवल कर्ज के ब्याज में चुका रहा है, लेकिन अगर यह आंकड़ा 18-19% तक पहुंच जाता है, तो यह गंभीर चिंता का विषय बन जाएगा।
अत्यधिक कर्ज विकास को रोक सकता है
विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि कर्ज का बोझ और बढ़ा, तो सरकार को उच्च ब्याज दरों का भुगतान करना होगा, जिससे विकास परियोजनाओं पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि सरकार ₹1 का राजस्व अर्जित करती है और उसमें से 15-19 पैसे ब्याज में चला जाता है, तो आधारभूत ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) का विकास रुक जाएगा।
राजस्थान कर्ज की तय सीमा के करीब!
केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए कर्ज लेने की एक सीमा तय कर रखी है। मौजूदा स्थिति में राजस्थान इस सीमा के बेहद करीब पहुंच चुका है। अगर सरकार इस सीमा से अधिक कर्ज लेती है, तो केंद्र सरकार ओवरड्राफ्ट (OD) लिमिट को फ्रीज कर सकती है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है और नए विकास कार्य ठप हो सकते हैं।
भाजपा सरकार ने लिया सबसे ज्यादा कर्ज: कांग्रेस
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हर सरकार कर्ज लेती है, लेकिन भाजपा सरकार ने अब तक का सबसे ज्यादा कर्जा लिया है। जब हमारी सरकार ने कर्ज लिया था, तो इन्होंने बड़ी-बड़ी बातें की थीं। आज ये खुद रिकॉर्ड कर्ज ले रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “पीएम मोदी ने पिछले 10 वर्षों में इतना कर्ज ले लिया, जितना पूरे 65 वर्षों में नहीं लिया गया था। आम जनता से टैक्स वसूला जा रहा है, कर्ज लिया जा रहा है, लेकिन इसका फायदा केवल कुछ खास लोगों को दिया जा रहा है। ऐसे में सरकार घाटे में जाएगी ही।”
क्या बढ़ेगा राजस्थान का कर्ज?
विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी बजट में राज्य सरकार को नए विकास कार्यों के लिए और अधिक कर्ज लेना पड़ सकता है। हालांकि, अगर कर्ज का आंकड़ा जीडीपी के 40% से ऊपर जाता है, तो यह गंभीर आर्थिक संकट का संकेत होगा। अब देखना होगा कि भजनलाल सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है और बजट में इसका क्या समाधान प्रस्तुत करती है।