✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा के साथ अकरम खान कि रिपोर्ट
नागौर का ऐतिहासिक मायरा, भाईयों ने बरसाया प्यार और दौलत
नागौर, राजस्थान: राजस्थान के नागौर जिले में मायरा भरने की ऐतिहासिक परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इस बार जो मायरा भरा गया, उसने सबको चौंका दिया। साडोकण निवासी तीन भाइयों—हरनिवास खोजा, दयाल खोजा और हरचंद खोजा ने अपनी बहन बीरज्या देवी (गांव फरदोद) के बेटे-बेटी की शादी में ऐसा मायरा भरा कि देखने वालों की आंखें खुली की खुली रह गईं।
1.51 करोड़ रुपये नकद, 25 तोला सोना, 5 किलो चांदी और नागौर शहर में दो महंगे प्लॉट – यह सब एक ही मायरे में दिया गया, जिसका कुल मूल्य 3 करोड़ रुपये से अधिक आंका जा रहा है।
कैसे भरा गया मायरा? नोटों से भरे बैग और कीमती जेवरात
इस ऐतिहासिक मायरे में तीनों भाइयों ने नकदी के बड़े-बड़े बैग लेकर बहन के घर पहुंचे। जब बैग खोले गए तो उनमें 2000, 500, 200 और 100 रुपये के नोटों के गड्डियों की ढेर लगी हुई थी। इसके अलावा सोने और चांदी के गहनों की चमक ने शादी में आए मेहमानों को दंग कर दिया।
मायरा केवल नकदी और गहनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भाइयों ने नागौर शहर में दो महंगे प्लॉट भी बहन को तोहफे में दिए, जिससे यह मायरा अब तक के सबसे महंगे मायरों में शामिल हो गया।
मायरे की भव्यता देखने उमड़े हजारों लोग, कई दिग्गज भी रहे मौजूद
इस भव्य समारोह में राजस्थान सरकार के पूर्व उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, जायल के पूर्व प्रधान रिधकरण लामरोड़, नागौर की पूर्व जिला प्रमुख सुनीता चौधरी सहित हजारों लोग शामिल हुए।
शादी के इस समारोह में न केवल नागौर जिले बल्कि पूरे राजस्थान से लोग पहुंचे और इस ऐतिहासिक मायरे का गवाह बने।
राजस्थान में मायरा: प्रेम और समर्पण की अनूठी परंपरा
राजस्थान में मायरे की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम और सामाजिक एकता का प्रतीक है। जब किसी बहन के बेटे या बेटी की शादी होती है, तो उसके भाई नकद, गहने, कपड़े, और अन्य बहुमूल्य उपहार लेकर मायरा भरने आते हैं।
मायरा केवल एक पारिवारिक परंपरा नहीं, बल्कि यह राजस्थानी संस्कृति की समृद्धि और सामाजिक सद्भाव को भी दर्शाता है।
नागौर में पहले भी भरे जा चुके हैं भव्य मायरे
नागौर और आसपास के जिलों में इससे पहले भी कई भव्य मायरे भरे गए हैं, लेकिन 3 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का मायरा शायद पहली बार देखा गया है।
इससे पहले:
2019 में नागौर के लाडनूं में 1.75 करोड़ रुपये का मायरा भरा गया था।
2022 में डीडवाना में 2 करोड़ रुपये का मायरा चर्चा में रहा था।
2023 में खींवसर में 2.5 करोड़ रुपये का मायरा दिया गया था।
लेकिन इस बार का 3 करोड़ रुपये से अधिक का मायरा नागौर के इतिहास में सबसे भव्य मायरा बन गया है।
नागौर में मायरा भरने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नया ट्रेंड?
बीते कुछ वर्षों में मायरा भरने की परंपरा एक प्रतिष्ठा का विषय भी बनती जा रही है। हर साल भाई अपनी बहन के घर ज्यादा से ज्यादा मायरा भरने का प्रयास कर रहे हैं।
कई मायरे अब सिर्फ पारंपरिक नहीं बल्कि भव्यता और प्रतिस्पर्धा का रूप ले चुके हैं। यह परंपरा ना केवल परिवारों को जोड़ने का काम करती है, बल्कि सामाजिक रूप से एकता और भाईचारे का भी प्रतीक बनती जा रही है।
नागौर के इतिहास में दर्ज हुआ यह भव्य मायरा
नागौर जिले में भरे गए इस 3 करोड़ रुपये से अधिक के मायरे ने पूरे राजस्थान में चर्चा बटोरी है। भाई-बहन के प्रेम का यह अनोखा उदाहरण आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा।
क्या आने वाले वर्षों में इससे भी बड़ा मायरा देखने को मिलेगा?
यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य में नागौर में इससे भी बड़े मायरे भरे जाते हैं या नहीं।