
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
प्रयागराज। महाकुंभ में जहां श्रद्धालु धर्म और आस्था में लीन रहते हैं, वहीं कुछ लोगों ने इस धार्मिक महासंगम में कमाई का अनोखा तरीका ढूंढ लिया है। करोड़ों श्रद्धालु जब महाकुंभ में स्नान और पूजा-पाठ के लिए आते हैं, तो उनकी सबसे बड़ी जरूरतों में से एक होती है—मोबाइल चार्जिंग। इसी जरूरत को समझते हुए कई लोगों ने घाटों और पंडालों के पास मोबाइल चार्जिंग स्टॉल लगा दिए हैं, जहां श्रद्धालुओं से चार्जिंग के बदले 20 से 50 रुपये तक शुल्क लिया जा रहा है।
कैसे बना मोबाइल चार्जिंग बिजनेस कमाई का जरिया?
महाकुंभ में लाखों लोग दिनभर अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं—परिवार से संपर्क रखने, लाइव वीडियो कॉलिंग, फोटो-वीडियो बनाने और रास्ते ढूंढने के लिए। लेकिन भारी भीड़ और लंबे समय तक घूमने के कारण उनके मोबाइल फोन की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है। इसी समस्या को कुछ स्थानीय लोगों ने अवसर में बदल दिया।
वे घाटों और प्रमुख स्थलों पर पावर बैकअप और मल्टी-सॉकेट चार्जिंग पॉइंट्स लेकर बैठ गए और श्रद्धालुओं से चार्जिंग के लिए शुल्क वसूलने लगे। एक बार फोन चार्ज करने के लिए 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक वसूले जा रहे हैं, और श्रद्धालु खुशी-खुशी यह शुल्क चुका रहे हैं क्योंकि उनके लिए फोन का चालू रहना बेहद जरूरी है।
एक घंटे में 1000 रुपये तक की कमाई
मोबाइल चार्जिंग स्टॉल लगाने वालों के मुताबिक, दिनभर में सैकड़ों लोग उनके पास फोन चार्ज करवाने आते हैं। अगर औसतन 30-40 लोग भी प्रति घंटे चार्जिंग करवाते हैं और हर व्यक्ति से 30 रुपये भी लिए जाएं, तो एक घंटे में 1000 रुपये तक की कमाई हो रही है।
कम निवेश, ज्यादा मुनाफा
इस बिजनेस की सबसे खास बात यह है कि इसमें निवेश बेहद कम है। सिर्फ कुछ पावर बैंक्स, मल्टी-सॉकेट बोर्ड और इन्वर्टर के साथ इस काम को शुरू किया जा सकता है। एक बार सेटअप करने के बाद लगातार पैसे कमाने का मौका मिलता है।
श्रद्धालुओं के लिए राहत, कारोबारियों के लिए अवसर
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए यह सेवा बहुत फायदेमंद साबित हो रही है क्योंकि इससे उनका मोबाइल चालू रहता है और वे अपने परिवार से जुड़े रहते हैं। वहीं, स्थानीय युवाओं और व्यापारियों के लिए यह कमाई का शानदार जरिया बन गया है।
क्या कहते हैं श्रद्धालु?
महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं का कहना है कि मोबाइल चार्जिंग की सुविधा उनके लिए वरदान साबित हो रही है। वाराणसी से आए संजय मिश्रा कहते हैं, “हम सुबह से स्नान और दर्शन में व्यस्त थे, इस बीच मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई। यह चार्जिंग सुविधा बहुत काम आई।”
वहीं, राजस्थान के जयपुर से आए रमेश चौधरी बताते हैं, “भीड़भाड़ वाले इलाकों में मोबाइल चार्ज करने के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ रुपये खर्च करके मोबाइल चार्ज हो गया, जिससे परिवार से संपर्क बना रहा।”
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में मोबाइल चार्जिंग की यह सुविधा न केवल श्रद्धालुओं के लिए मददगार साबित हो रही है, बल्कि यह स्थानीय युवाओं के लिए भी कमाई का नया जरिया बन गई है। कम लागत में शुरू किए गए इस बिजनेस से लोग हजारों रुपये रोज कमा रहे हैं, जो इसे एक सफल और लोकप्रिय स्टार्टअप आइडिया बना रहा है।