✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

क्या आप जानते हैं कि भारत को अब “डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” कहा जा रहा है? दुनिया भर में डायबिटीज के मामलों में भारत का सबसे बड़ा योगदान है, और आने वाले वर्षों में यह समस्या और भी भयावह हो सकती है।
बदलती जीवनशैली, असंतुलित खानपान, शारीरिक गतिविधियों की कमी और अनुवांशिक कारणों के चलते हर दूसरा भारतीय डायबिटीज के खतरे में है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह समस्या सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवा और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
आइए, समझते हैं कि भारत में डायबिटीज इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही है और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
डायबिटीज के बढ़ते कारण
1. जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन
आजकल भारतीय खानपान में घर के बने पारंपरिक भोजन की जगह फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और शुगर-लोडेड ड्रिंक्स ने ले ली है। हर जगह पिज्जा, बर्गर, समोसे, मिठाइयाँ और कोल्ड ड्रिंक्स का बोलबाला है, जो ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाते हैं।
2. शारीरिक गतिविधियों की भारी कमी
डिजिटल युग में लोग पहले से ज्यादा सुस्त हो गए हैं। घंटों तक मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताने की वजह से न तो व्यायाम हो पाता है और न ही शारीरिक गतिविधियाँ। ऑफिस और घर, दोनों जगह बैठने की आदत डायबिटीज के खतरे को बढ़ा रही है।
3. पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड की बढ़ती आदत
लोग पारंपरिक, ताजा और पोषणयुक्त भोजन की जगह इंस्टेंट नूडल्स, चिप्स, बिस्किट और अन्य प्रोसेस्ड फूड को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इनमें उच्च मात्रा में शुगर, नमक और अनहेल्दी फैट होता है, जो डायबिटीज को बढ़ावा देते हैं।
4. अनुवांशिक कारण
यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आने वाली पीढ़ी में इसके होने की संभावना 50% तक बढ़ जाती है।
5. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
तेज रफ्तार जीवनशैली के कारण लोग मानसिक तनाव, डिप्रेशन और चिंता से जूझ रहे हैं। यह हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है और डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
डायबिटीज के प्रकार
1️⃣ टाइप-1 डायबिटीज – यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। यह आमतौर पर बचपन में होती है।
2️⃣ टाइप-2 डायबिटीज – यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या इसका सही उपयोग नहीं कर पाता। यह खराब जीवनशैली से जुड़ी होती है।
3️⃣ गर्भकालीन डायबिटीज – यह गर्भावस्था के दौरान होती है और बाद में टाइप-2 डायबिटीज में बदल सकती है।
भारत में डायबिटीज का प्रभाव
✅ हर चौथा भारतीय प्रीडायबिटिक है (यानी भविष्य में डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा है)।
✅ बच्चों में मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं।
✅ डायबिटीज के कारण दिल की बीमारी, किडनी फेलियर और अंधापन जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
✅ स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ रहा है, जिससे चिकित्सा खर्च भी बढ़ रहा है।
डायबिटीज से बचाव के उपाय
✅ 1. घर का बना भोजन खाएं – ताजा, पोषणयुक्त और संतुलित आहार अपनाएँ।
✅ 2. शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएँ – हर दिन कम से कम 30-40 मिनट व्यायाम करें।
✅ 3. मीठे और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं – चीनी, कोल्ड ड्रिंक्स और फास्ट फूड को सीमित करें।
✅ 4. वजन नियंत्रित रखें – मोटापा डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण है, इसे नियंत्रित करें।
✅ 5. मानसिक तनाव कम करें – योग, ध्यान और पर्याप्त नींद लें।
✅ 6. नियमित ब्लड शुगर टेस्ट कराएँ – समय-समय पर अपनी शुगर की जाँच करवाएँ।
डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज
✔️ नीम का रस (निबौता) – रोजाना सुबह खाली पेट दो चम्मच नीम का रस लें।
✔️ करेले का रस – यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में बेहद प्रभावी है।
✔️ मेथी दाने – रातभर भिगोकर सुबह इनका पानी पीने से फायदा होता है।
✔️ जामुन के बीज का पाउडर – यह डायबिटीज नियंत्रण में मदद करता है।
क्या हम भारत को डायबिटीज-मुक्त बना सकते हैं?
अगर हम अपनी जीवनशैली में सही बदलाव करें, हेल्दी खानपान अपनाएँ और नियमित व्यायाम करें, तो डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। यह सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य का सवाल नहीं, बल्कि पूरे समाज की भलाई का विषय है।
अब समय आ गया है कि हम इस खतरे को पहचानें और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करें।
क्या आप डायबिटीज से बचाव के लिए आज से ही सही कदम उठाने को तैयार हैं?