सोजत से अकरम खान कि रिपोर्ट।

माहे रमजान के पवित्र महीने की सबसे महत्वपूर्ण रात, 27वीं रात यानी लैैलतुल कद्र, आज पूरे श्रद्धा और इबादत के साथ मनाई जा रही है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, इस रात को इबादत करने का महत्व हजार महीनों की इबादत के बराबर बताया गया है। यही वजह है कि इस खास रात को मुस्लिम धर्मावलंबी पूरी रात जागकर खुदा की इबादत में मशगूल रहते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

मस्जिदों और मौहल्लों खास सजावट और रोशनी
शहर और क्षेत्र की तमाम मस्जिदें इस मुबारक मौके पर रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाई गई हैं। जगह-जगह मस्जिद कमेटियों ने रोशनी और सजावट के विशेष इंतजाम किए हैं, वही मुस्लिम मौहल्लों और मस्जिद के आसपास के क्षेत्रो मे भी सुन्दर रोशनी से सजावट कि गयी है। जिससे यह रात और भी खास नजर आ रही है।

रातभर इबादत और तौबा
मुस्लिम समाज के लोग इस रात को नमाज, तिलावत-ए-कुरान, जिक्र-ए-इलाही और तौबा-इस्तगफार में गुजारते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रात की गई इबादत और मांगी गई दुआएं जरूर कबूल होती हैं। यही कारण है कि लोग अपने और अपने परिवार के लिए दुआएं मांगते हैं और अपने पिछले गुनाहों से माफी की इल्तिजा करते हैं।
सहरी और इबादत करने वालो के लिए खास इंतजाम
मस्जिद कमेटियों और विभिन्न संगठनों की ओर से इबादत के लिए आने वाले लोगों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। चाय, काफी, शरबत, खीर और अन्य व्यंजनों की व्यवस्था की गई है, ताकि रोजेदार पूरी रात इबादत में आसानी से शामिल हो सकें। इसके अलावा, सहरी के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं, जिससे इबादत में लगे रोजेदार सुबह की सहरी कर सकें।
इस रात नाजिल हुई थी कुरान की पहली आयत
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, इसी रात खुदा की तरफ से फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर कुरान शरीफ की पहली आयत नाजिल हुई थी। इसी वजह से इस रात को खास दर्जा दिया गया है और इसे ‘शबे कद्र’ भी कहा जाता है।
हर मस्जिद में इबादत का माहौल
शहर और आसपास के इलाकों की हर मस्जिद में आज रात मुस्लिम समाज के लोग बड़ी तादाद में इबादत कर रहे हैं। बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे सभी इस रात को पूरी श्रद्धा के साथ गुजार रहे हैं।
लैैलतुल कद्र की यह पाक रात, इबादत और दुआओं के लिए जानी जाती है। मुस्लिम समुदाय इसे पूरे अकीदे के साथ मना रहा है, और हर ओर इबादत और रहमत का माहौल बना हुआ है।और लोग बड़ी संख्या मे आकृषक रोशनी देखने और इबादत करने के लिए मस्जिदों का रूख कर रहे है।