वरिष्ठ पत्रकार चेतनजी व्यास कि रिपोर्ट।

सोजत, 27 मार्च: राजस्थान का ऐतिहासिक सोजत दुर्ग, जिसे राजस्थान स्मारक, पूरावशेष, स्थान तथा प्राचीन वस्तु अधिनियम की धारा 3 के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था, आज दुर्दशा का शिकार है। पिछले 15 वर्षों में इस दुर्ग के संरक्षण एवं मरम्मत के लिए एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
ऐतिहासिक महत्व की सामग्री गायब
स्वतंत्रता के बाद से इस दुर्ग से कई ऐतिहासिक महत्व की सामग्री लापता हो चुकी है, जिनमें – ऐतिहासिक तोपें और गोले
रथ के अवशेष, तलवारें, ढालें, भाले, तीर-कमान
महत्वपूर्ण अभिलेख एवं शिलालेख शामिल हैं।
हालांकि, पाली के पूर्व जिला कलेक्टर नीरज के. पवन के हस्तक्षेप के बाद कुछ तोपें एवं अन्य पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं पाली स्थित बांगड़ म्यूजियम में सुरक्षित कर दी गईं, जबकि अन्य सामग्री सोजत के मालखाने में रखी गई है।

दुर्ग की प्राचीरों में दरारें, संरक्षण के अभाव में जर्जर स्थिति
दुर्ग की प्राचीरों में दो स्थानों पर बड़े-बड़े सुराख हो चुके हैं, जो इसके ढहने की आशंका को बढ़ा रहे हैं। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार पुरातत्व विभाग एवं प्रशासन से संरक्षण की मांग के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

अंग्रेजी बबूल से अटा पड़ा है दुर्ग, वन्यजीवों का अड्डा बना
दुर्ग परिसर अंग्रेजी बबूल के झाड़-झंखाड़ से पूरी तरह ढका हुआ है। मनरेगा योजना के तहत सफाई अभियान चलाने की कोशिशें हुईं, लेकिन बबूल अभी भी दुर्ग की प्राचीरों पर फैला हुआ है। इससे यहां सांप-बिच्छुओं का खतरा बढ़ गया है, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
स्थानीय लोग प्रशासन से कर रहे हैं पुनः संरक्षण की मांग
सोजत दुर्ग की ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासन और पुरातत्व विभाग से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे खंडहर में बदल सकती है।