साहित्य अकादमियों का शीघ्र गठन किया जावे – लक्ष्मण दान कविया
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही के साथ पवन पहाड़िया की रिपोर्ट
मूंडवा – अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति, राजस्थानी भाषा प्रसार संस्थान के संस्थापक एवं राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर सहित प्रदेश की सभी साहित्य अकादमियों के शीघ्र गठन की पुरज़ोर मांग की है। कविया ने अपने ज्ञापन में लिखा कि राजस्थान प्रदेश में भाजपा को सत्ता में आये हुए 18 महीने हो चुके हैं लेकिन प्रदेश की राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर सहित सभी अकादमियां ठप्प पड़ी है ऐसा प्रदेश में पहली बार नहीं हुआ है। अधिकतर प्रदेश की सभी सरकारें साहित्य के प्रति हमेशा उदासीन रहती आ रही है जिसके कारण प्रदेश की आठों अकादमियों की दुर्दशा देखने को मिल रही है। सरकारें सत्ता में आने के बाद अकादमियों की सुध नहीं लेती क्योंकि साहित्यिक अकादमियों का सम्बन्ध सिर्फ साहित्यकारों से होता है और साहित्यकारों की भावना को सत्ता पक्ष हमेशा नजरंदाज करता आया है। कविया ने लिखा कि विगत 40 वर्षों का मेरा साहित्यिक अनुभव बताता है कि जब भी कोई पार्टी सत्ता में आती है तो वो तीन वर्ष तक अकादमियों की सुध ही नहीं लेती है चौथे वर्ष में अकादमियों का गठन किया जाता है। जब अकादमियां असली रूप में हरकत में आती है तब तक अगले चुनावों की आहट सुनने लग जाती है। आदर्श आचार संहिता लग जाने से साहित्यिक गतिविधियां वापिस ठप्प हो जाती है। राजस्थान में पिछले कई वर्षों से बारी बारी सत्ता परिवर्तन होता आ रहा है इसके परिणामस्वरूप नई पार्टी सत्ता में आते ही सर्वप्रथम साहित्यिक अकादमियों को भंग कर देती है। जिनकी तरफ तीन वर्ष तक कोई ध्यान नहीं दिया जाता रहा है जिसका दुष्परिणाम प्रदेश के साहित्यकारों को भुगतना पड़ता है। कविया ने इस बार सत्ता पक्ष द्वारा पहली बार विश्वविख्यात साहित्यकार विजयदान देथा के नाम पर तीन दिवसीय साहित्यकार समारोह रखकर बहुत ही श्रेय एवं प्रेय कार्य किया है इसके लिए मैं सरकार को साधुवाद एवं धन्यवाद प्रेषित करता हूं। कविया ने लिखा कि मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप अतिशीघ्र प्रदेश की साहित्यिक अकादमियों का गठन कर प्रदेश के साहित्यकारों को अनुग्रहित करेंगी।