मोमिनों ने जुम्मातुल विदा की नमाज अदा की उमड़ा जनसैलाब

शबे क़द्र की 27 वीं रात मोमिनों ने इबादत में गुजारी
शिक्षा के बिना जिंदगी जिंदा लाश की तरह : हाफ़िज़ इरफान अतारी
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
सोजत। रहमतो बरकतों से भरे माहे रमजान के महिने का आखरी जुम्मा जुम्मातुल विदा की नमाज मस्जिदों में अकीदत से अदा की गई। नमाज पढ़ने मोमिनो का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मोमिनों ने एक दूसरे के गले मिलकर माहे रमजान के जुम्मे की मुबारकबाद पेश की। आखरी जुम्मे को लेकर शहर की प्रमुख मस्जिदों में खास तैयारियां की गई। शहर के विभिन्न मस्जिदों जामा मस्जिद, सिलावटों की मस्जिद, बड़े मीनारों की मस्जिद, खरादियान मस्जिद, सिपाहियान वौपारियान मस्जिद, दरगाह मस्जिद, मोहल्ला शेखान मस्जिद नयापुरा, सिन्धी सिपाहियों की मस्जिद सहित आखरी जुम्मे की नमाज को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों एवं इंतेजामिया कमेटियों ने मस्जिदो में विशेष इंतेजाम किये। बाद नमाज देश में अमन चैन और खुशहाली की दुआ के साथ ही रहमत, बरकत और मगफिरत की भी दुआएं मांगी गई। खुतबे में रमजान के महत्व, रोजे की फजीलत और नेक अमल के बयानात पर तकरीर पेश की गई।
शबे क़द्र की 27 वीं रात मोमिनों ने इबादत में गुजारी
रमजान महीने की 5 ताक रातों (21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं) में गुरुवार को 27 वीं शबेक़द्र (इबादत की रात) होने से मुस्लिम क्षेत्रो की मस्जिदों एवं मोहल्लों में विशेष रौनकें नजर आई। मोमिनो ने रातभर मस्जिदों में वह औरतों ने घर में खूब इबादत की। सिलावट मस्जिद में मौलाना हाफ़िज़ इरफान अतारी ने रमजान की फजीलतों के बारे में बयान करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना जिंदगी जिंदा लाश की तरह है। अगर जिंदगी संवारनी है तो शिक्षा हासिल करना बहुत जरूरी है। वही हाफिज इरफान अतारी साहब का फूल माला पहनाकर इस्तकबाल कर उन्हें नजराना पेश किया गया। सिलावटों की मस्जिद में मौलाना जमशेद अली ने जुम्मा की नमाज अदा कराई। माहे रमजान अलविदा की सलाम से माहौल गमजदा हो गया

मस्जिदों को दुल्हन की तरह सजाया
शहर की तमाम मस्जिदों व मुस्लिम मोहल्लों को दुल्हन की तरह सजाया गया। जिसे देखने के लिए औरतों और बच्चों की भीड़ उमड़ी मस्जिदों और मोहल्ला में जगह-जगह सिरनी तकसीम की गई।