
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
अमरोहा (उत्तर प्रदेश):
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के परिवार का नाम अब एक बड़े सरकारी घोटाले में सामने आया है। अमरोहा जिले में मनरेगा योजना के तहत फर्जी मजदूरी दिखाकर लाखों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। इस पूरे मामले में शमी की बहन शबीना, उनके बहनोई गजनबी, और उनके कई रिश्तेदारों के नाम सामने आए हैं।
जांच में खुलासा हुआ है कि शबीना और उनके परिवार के लोगों को मनरेगा मजदूर दिखाकर सरकारी खाते से भारी-भरकम भुगतान कराया गया। हैरानी की बात यह है कि ये भुगतान ऐसे लोगों के नाम पर हुए जो वास्तव में किसी भी श्रम कार्य में शामिल नहीं थे।
डीएम निधि गुप्ता वत्स ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। सबसे बड़ा नाम शमी की बहन की सास गुले आयशा का सामने आया है, जिनसे प्रशासन 8.68 लाख रुपये की वसूली करेगा। साथ ही उनके ग्राम पंचायत से जुड़े सभी अधिकार भी सीज कर दिए जाएंगे।
कौन-कौन फंसे जांच में:
- मोहम्मद शमी की बहन शबीना
- बहनोई गजनबी
- सास गुले आयशा
- परिवार के अन्य सदस्य
अधिकारियों पर गिरी गाज:
घोटाले में मिलीभगत और लापरवाही बरतने के आरोप में तत्कालीन तीन पंचायत सचिव उमा, अंजुम और पृथ्वी, एपीओ ब्रजभान सिंह समेत 8 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।
तत्कालीन बीडीओ प्रतिभा अग्रवाल के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। माना जा रहा है कि इन अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा वर्षों से चल रहा था।
प्रशासन ने कहा – किसी को नहीं बख्शा जाएगा:
डीएम निधि गुप्ता वत्स ने स्पष्ट कहा कि जो भी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सर्वोपरि है। फर्जी तरीके से सरकारी धन की बंदरबांट बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
जनता में नाराजगी:
मनरेगा जैसी गरीबों के लिए बनी योजना में अमीर और प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आने से जनता में आक्रोश है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर का परिवार इस तरह गरीबों की योजना में घोटाला कर सकता है, तो आम जनता के अधिकारों का क्या होगा?
अब क्या होगा:
- दोषियों से वसूली की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
- दोषी अधिकारियों को निलंबन के बाद जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा से हटाया जा सकता है।
- पूरे मामले की निगरानी खुद डीएम कर रही हैं।
यह मामला यह दर्शाता है कि कैसे एक प्रतिष्ठित परिवार से जुड़े लोग भी सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करने से पीछे नहीं हटते। अब प्रशासन की कार्रवाई और जांच से यह तय होगा कि दोषियों को कितना सख्त दंड मिलेगा और गरीबों के हक की यह लूट कब थमेगी।