✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
उत्तर प्रदेश: ट्रैक्टर मंडियों में सस्ते ट्रैक्टर का राज खुला, कई जिलों में बिछाया गया था फ्रॉड नेटवर्क
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल, अमरोहा और बदायूं जिलों में लगने वाली ट्रैक्टर मंडियों में जब लोग नए ट्रैक्टर आधे से भी कम कीमत पर खरीदते थे, तो किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इसके पीछे एक बेहद संगठित और खतरनाक गैंग काम कर रहा है। यह गैंग गंभीर रूप से बीमार लोगों के नाम पर ट्रैक्टर और अन्य वाहनों का लोन पास कराता था, और फिर उनके मरने के बाद डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर लोन माफ कराकर वाहन बेच देता था।
अब तक इस मामले में करीब 25 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें दो किसान नेता भी शामिल हैं।
केस स्टडी 1: मौत के बाद लोन माफ, फिर बेच दिया ट्रैक्टर
संभल जिले के बहरौली ताहरपुर निवासी दिनेश टीबी से पीड़ित थे। फ्रॉड गैंग ने उनके नाम पर डेढ़ लाख का डाउन पेमेंट देकर सोनालिका ट्रैक्टर और बाइक का लोन करवा दिया। ट्रैक्टर की कुल कीमत 6 लाख थी, जिसे LNT इंश्योरेंस कंपनी ने फाइनेंस किया। दिनेश की एक महीने में मौत हो गई। गैंग ने डेथ सर्टिफिकेट लगाकर लोन माफ करवाया और ट्रैक्टर को 2.40 लाख रुपए में बेच डाला।
केस स्टडी 2: पिता की मौत को बनाया कमाई का जरिया
गिरफ्तार आरोपी विनोद सिंह ने अपने मरणासन्न पिता पंचम सिंह के नाम पर एक ट्रैक्टर, बाइक और स्कूटी का लोन लिया। मौत के बाद लोन माफ हुआ, और ट्रैक्टर व बाइक बेच दी गई। स्कूटी वह खुद चला रहा था, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया। पूछताछ में विनोद ने कबूला कि उसने कई और लोगों के साथ यही तरीका अपनाया और उसका बेटा भी इस गैंग का हिस्सा है।
ASP का खुलासा: पूर्वोत्तर राज्यों से भी आ रहे फर्जी ट्रैक्टर
संभल की ASP अनुकृति शर्मा ने बताया कि यह गैंग ऐसे लोगों को टारगेट करता था जो आखिरी स्टेज की बीमारी में हों। ट्रैक्टर का लोन करवाकर, डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर लोन माफ करवाया जाता था। फिर ट्रैक्टरों को 3-4 लाख रुपए में बेचा जाता था।
संभल-अमरोहा बॉर्डर के चौहदपुर, सैदनंगली, देहगवां जैसे इलाकों में मंडी लगती थी जहां ऐसे ट्रैक्टर बेचे जाते थे।
गैंग में शामिल थे किसान नेता:
इस गैंग में भाकियू टिकैत गुट के तहसील अध्यक्ष राकेश और भाकियू (अराजनैतिक) के नेता विनोद कुमार भी शामिल थे। राकेश का साथी छत्रपाल भी गिरफ्तार हुआ है।
कैसे माफ होता है व्हीकल लोन: एक्सपर्ट की राय
बैंकिंग एक्सपर्ट प्रदीप गर्ग ने बताया कि वाहन लोन माफी के लिए सिर्फ दो डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं:
- डेथ सर्टिफिकेट
- फैमिली का शपथ पत्र, जिसमें आर्थिक तंगी का हवाला दिया जाता है।
इसके आधार पर इंश्योरेंस कंपनी बैंक को पूरा लोन क्लेम देकर लोन माफ कर देती है। चूंकि वाहन एक्सीडेंटल कवर में आता है, इसलिए वाहन की रिकवरी नहीं की जाती।
महाफ्रॉड का पर्दाफाश ऐसे हुआ:
17 जनवरी 2024 को पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान दो युवकों को स्कॉर्पियो सहित पकड़ा। मुख्य आरोपी ओंकारेश्वर मिश्रा के मोबाइल से 1 लाख से अधिक लोगों के डॉक्यूमेंट मिले। आगे की जांच में सामने आया कि यह गैंग मौत से पहले और बाद में बीमा करवाकर लोन माफ कराता था और अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का फ्रॉड कर चुका है।
एक सुनियोजित ठगी का नेटवर्क, जिसमें मौत बन गई कमाई का जरिया
यह मामला न सिर्फ ट्रैक्टर फ्रॉड का है, बल्कि एक ऐसी सोची-समझी योजना का है जो बीमार और मरते हुए लोगों को भी नहीं बख्शती। इस तरह के फ्रॉड से जहां एक ओर सरकार को राजस्व की हानि होती है, वहीं आम आदमी की आस्था भी व्यवस्था से डगमगाने लगती है। पुलिस की सक्रियता से यह मामला उजागर हुआ है और आगे और गिरफ्तारियों की संभावना है।