
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

sojat सोजत। राजस्थान की अनूठी वनस्पति और सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा है। राज्य की मरुस्थलीय भूमि में पाई जाने वाली पारंपरिक वनस्पति ‘सांगरी’ को भौगोलिक संकेतक (GI-टैग) प्राप्त हो गया है। यह उपलब्धि राजस्थान के लिए गर्व की बात है, क्योंकि इससे पहले राज्य के 16 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है, जिनमें सोजत की मेहंदी 16वें स्थान पर थी और अब सांगरी 17वां जीआई टैग प्राप्त करने वाला उत्पाद बन गया है।
क्या है सांगरी?
सांगरी, जिसे ‘कीकर’ या ‘खेजड़ी’ के पेड़ की फलियाँ भी कहा जाता है, राजस्थान के शुष्क और रेतीले क्षेत्रों में उगने वाला एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है। यह राज्य के पारंपरिक व्यंजनों का अभिन्न हिस्सा है, विशेषकर प्रसिद्ध ‘पंचकूटा’ सब्जी में इसका विशेष महत्व है। सांगरी न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होती है, बल्कि इसके पोषण गुण भी अत्यधिक हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं।
सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
सांगरी का राजस्थान की संस्कृति, खानपान और लोकजीवन से गहरा जुड़ाव है। गर्मियों के मौसम में जब अन्य फसलें नहीं उगतीं, तब सांगरी जैसे वन उत्पाद ग्रामीण जीवन का सहारा बनते हैं। इसके अलावा सांगरी की व्यावसायिक मांग भी बढ़ रही है, खासकर बड़े शहरों और विदेशों में, जहां इसे प्रीमियम प्रोडक्ट के रूप में बेचा जाता है।
जीआई टैग मिलने से सांगरी की ब्रांड वैल्यू और बढ़ेगी, जिससे किसानों और स्थानीय उत्पादकों को बेहतर बाजार मूल्य मिल सकेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
राजस्थान के अन्य जीआई टैग उत्पाद
सांगरी से पहले राजस्थान के जिन प्रमुख उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है, उनमें शामिल हैं:
- कोटा डोरिया
- बाग्रू प्रिंट
- सांगानेरी प्रिंट
- जैसलमेर का कढ़ाईदार सूती वस्त्र
- ब्लू पॉटरी जयपुर
- मूंगड़ा की राब
- बीकानेरी भुजिया
- अलवर का दूध
- जयपुरी राजाई
- बूंदी का लड्डू
- जोधपुरी जूतियां
- कुम्हारगढ़ का तांबा
- जैसलमेर का मृण्मय शिल्प
- अजमेर की इत्र
- जयपुर का गुलाल
- सोजत की मेहंदी
अब सांगरी के जुड़ने से यह सूची 17 पर पहुंच गई है।
जीआई टैग से क्या मिलेगा लाभ?
- सांगरी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
- उत्पाद की नकल पर रोक लगेगी।
- किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा।
- निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।
- स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी।
सांगरी को जीआई टैग मिलना सिर्फ एक उत्पाद को पहचान दिलाने का मामला नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की परंपराओं, स्वाद और स्थानीय जीवनशैली को सम्मान देने जैसा है। यह उपलब्धि न केवल राज्य के किसानों और उद्यमियों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित भी करेगी।
