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जोधपुरराजस्थान

नीली नगरी जोधपुर: रेगिस्तान में कला, संस्कृति और इतिहास का संगम,नीले घरों का रहस्य

omprakashborana2004@gmail.com
Last updated: May 19, 2025 7:01 am
omprakashborana2004@gmail.com
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4 Min Read
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✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

Contents
स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमिनीले घरों का रहस्यस्थापत्य एवं पर्यटनजीवंत संस्कृति और हस्तशिल्पआर्थिक उत्थान एवं सरकार की पहलचुनौतियाँ और आगे का रास्ता

जोधपुर, १५ अगस्त २०२४ – राजस्थान की थार रेगिस्तान की ऊँची-ऊँची रेत-धूल के बीच बसी जोधपुर नगरी, अपनी अलौकिक नीली रंगत, अद्वितीय महलों, दुर्गों और जीवंत संस्कृति के लिए विश्वविख्यात है। राठौड़ राजघराने के शासक एवं मारवाड़ के संस्थापक राव जोधा जी ने मई १४५९ ई. में इस शहर की नींव रखी थी। आज विजय नगरी के रूप में पहचाने जाने वाले इस इलाके को लाल मिट्टी से सजे मेहरानगढ़ दुर्ग के नीचे फैले हज़ारों नीले घरों ने ‘नीली नगरी’ का गौरवपूर्ण उपनाम दिलाया है।


स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मध्य शताब्दी में मारवाड़ क्षेत्र में बढ़ती असुरक्षाओं के कारण राव जोधा जी ने मेहरानगढ़ की पहाड़ियों पर किले का निर्माण कराया और उसी समय उसके आसपास जोधपुर नगरी समवेत हुई। तत्कालीन रणनीति के तहत इस स्थल का चयन इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि थार के रेगिस्तान में यहां पानी का उपलब्ध होना और मार्ग मार्ग में आने वाला होना व्यापार तथा सैन्य दृष्टि से लाभदायक था।


नीले घरों का रहस्य

जोधपुर के पुराने अधिवासों के घर, मंदिर, हवेलियाँ और छोटी-छोटी गलियाँ सभी नीले रंग में रंगी हुई दिखाई देती हैं। लोक मान्यता है कि यह रंग – ब्राहमणों द्वारा अपनाई गई एक परंपरा थी, जिससे मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव होता था। हालाँकि आज यह रंग केवल चिकित्सीय नहीं, बल्कि पर्यटक आकर्षण का मूल मंत्र बन चुका है।


स्थापत्य एवं पर्यटन

  • मेहरानगढ़ दुर्ग: ४० मीटर ऊँची चट्टान पर विराजमान मेहरानगढ़ दुर्ग की भव्यता और उसकी किलेबंदी का वास्तुशिल्प, पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है।
  • उमेद भवन पैलेस: शाही ठाट-बाट और जालियाँ, झरोखे तथा विशाल लॉन्ज हॉल्स से सजी यह हवेली अपनी सांस्कृतिक धरोहर के साथ होटल के रूप में भी विश्वप्रसिद्ध है।
  • भावनी माता मंदिर और मंडोर गार्डन: धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से दृष्टि से समृद्ध स्थल, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और इतिहासप्रेमी आते हैं।

पिछले पाँच वर्षों में नगर परिषद द्वारा विकसित किए गए पैदल यात्री मार्ग, रोशनी की व्यवस्था और व्यापक सफाई अभियानों ने जोधपुर को ‘स्मार्ट सिटी’ के मानचित्र पर भी ला खड़ा किया है।


जीवंत संस्कृति और हस्तशिल्प

जोधपुर के हस्तशिल्प, विशेषकर रेतीले मिट्टी के बर्तनों, जरी-रीशम के वस्त्रों, चमड़े के जूतों (जूतियाँ), और जेवरात ने विश्व भर में पहचान बनाई है। स्थानीय शिल्पकार एवं कारीगर संकुलों में आज भी पारम्परिक कलाएँ जीवित हैं।


आर्थिक उत्थान एवं सरकार की पहल

राज्य सरकार ने हाल ही में जोधपुर को “हैण्डलूम एंड हैंडीक्राफ्ट हब” के रूप में विकसित करने के लिए विशेष अनुदान स्वीकृत किया है। पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना और नए एयर कनेक्टिविटी के जरिए जोधपुर को राष्ट्रीय-आंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोड़ने की तैयारी जोरों पर है।


चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

रेगिस्तानी गर्मी, जल संकट और इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती माँग जोधपुर के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ हैं। स्थानीय प्रशासन ने ‘जल संचयन’ एवं ‘ग्रीन जोधपुर’ अभियानों के द्वारा इन कठिनाइयों से निपटने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। शहरवासियों के सहयोग एवं सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से इन संकटों का समाधान संभव है।



नीली नगरी जोधपुर न सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह राजस्थान की आत्मा, संस्कृति और परंपरा का सजीव द्योतक है। यहाँ का अनूठा स्थापत्य, जीवंत हस्तशिल्प और रेगिस्तानी रोमांच विश्वभर के यात्रियों को अपनी ओर खींचता है। आने वाले समय में जब जोधपुर स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, बेहतर कनेक्टिविटी और सतत् विकास के समावेश से और भी चमकेगा, तब यह नगरी अपनी पहचान को ‘सूर्य नगरी’ के साथ-साथ ‘संस्कृति का ग्लोबल सेंटर’ भी घोषित करवा सकती है।

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