✍️ सोजत न्यूज़ | वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा “सच कहने का दम”

राजस्थान सरकार द्वारा हर वर्ष विभिन्न विभागों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कोड ड्रेस की व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इन पैसों में कपड़े की खरीद, सिलाई, धुलाई और रखरखाव शामिल होता है। मगर हैरानी की बात यह है कि सरकारी दफ्तरों में शायद ही कोई अधिकारी या कर्मचारी अपनी कोड ड्रेस पहनकर आता हो।
चाहे वो तहसील हो, ब्लॉक कार्यालय, नगर परिषद हो या शिक्षा, जलदाय, बिजली, चिकित्सा, राजस्व या विकास अधिकारी महकमा—कई जगहों पर अधिकारी-कर्मचारी को आमजन पहचान ही नहीं पाते, क्योंकि वे अपनी सरकारी ड्रेस नहीं पहनते। इससे ना केवल शासन के निर्देशों की अवहेलना होती है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े होते हैं।
राज्य सरकार की मंशा रही है कि कोड ड्रेस से कर्मचारियों की पहचान आसानी से हो, जिससे जनता को कार्य करवाने में सुविधा हो और जवाबदेही तय की जा सके। लेकिन हकीकत यह है कि ये अधिकारी आम कपड़ों में आकर “पब्लिक सर्वेंट” की जगह “प्राइवेट विज़िटर” जैसे दिखाई देते हैं।
अब प्रदेश के ईमानदार और सख्त फैसलों के लिए पहचाने जा रहे मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा से उम्मीद की जा रही है कि वे इस व्यवस्था पर गंभीरता से ध्यान देंगे। क्या मुख्यमंत्री इस लापरवाही पर कार्रवाई करेंगे? क्या वे आदेश जारी करेंगे कि हर सरकारी विभाग में अधिकारी-कर्मचारी को कोड ड्रेस में ही उपस्थिति अनिवार्य की जाए?
यह सवाल अब आमजन की जुबां पर है, और पूरे राजस्थान को मुख्यमंत्री से इस मामले में एक सख्त फैसला लेने की उम्मीद है।