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प्रकृति की एक विशेष खगोलीय घटना नौतपा इस वर्ष 25 मई 2025 से शुरू हो चुकी है, जो 3 जून तक चलेगी। इस नौ दिवसीय अवधि को भीषण गर्मी के रूप में जाना जाता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तभी से नौतपा आरंभ होता है। इस बार सूर्य 25 मई को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर रोहिणी में प्रवेश कर चुका है, और 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा।
क्या है नौतपा और क्यों बढ़ती है गर्मी?
नौतपा वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे और लंबवत धरती पर पड़ती हैं, जिससे तापमान में तीव्र वृद्धि होती है। यह 9 दिन पृथ्वी पर सर्वाधिक गर्मी देने वाले माने जाते हैं। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य के वृष राशि के 10° से 23° 40′ कला तक की यात्रा को नौतपा कहा जाता है।
इस समय सूर्य तेज और चंद्रमा शीतलता के प्रतीक होते हैं। जब सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो गर्मी अत्यधिक बढ़ जाती है। वातावरण में सौर आंधियों की वृद्धि भी इस अवधि में देखी जाती है।
शरीर पर प्रभाव और सावधानियां
इस समय शरीर तेज़ी से डिहाइड्रेट होता है। इससे डायरिया, पेचिस, उल्टियां जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इन दिनों में अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे नींबू पानी, लस्सी, मट्ठा, खीरा, ककड़ी, तरबूज और नारियल पानी। घर से बाहर निकलते समय सिर को ढककर निकलना जरूरी है वरना बाल सफेद होने और झड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
शुक्र तारा अस्त और उसका प्रभाव
इस बार नौतपा की अवधि के दौरान 30 मई को शुक्र ग्रह कर्क राशि में प्रवेश करेगा और अस्त हो जाएगा। शुक्र रस प्रधान और ठंडक देने वाला ग्रह है, इसलिए इसके प्रभाव से देश के कुछ भागों में गर्मी में थोड़ी राहत मिल सकती है। खासकर नौतपा के आखिरी दो दिनों में तेज हवाएं, आंधी और बारिश के योग बन रहे हैं।
वराहमिहिर के “बृहत्संहिता” ग्रंथ में बताया गया है कि ग्रहों के अस्त और उदय होने से मौसम में व्यापक परिवर्तन होते हैं। ऐसे में शुक्र के अस्त होने से वर्षा की संभावनाएं बन रही हैं।
पौराणिक परंपरा और लोकाचार
नौतपा के दौरान ग्रामीण भारत में विशेष परंपराएं निभाई जाती हैं। महिलाएं मेहंदी लगाती हैं क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। जलदान, दही-मक्खन और ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है ताकि गर्मी से राहत मिले। इसके साथ ही सूर्य को जल अर्पित करने और छायादान करने का भी महत्व है।
कैसी रहेगी बारिश?
इस वर्ष पिंगल नामक संवत्सर के राजा बुध हैं और रोहिणी का निवास संधि में है। इसका प्रभाव यह होगा कि बारिश समय पर तो होगी, लेकिन क्षेत्र विशेष में अंतर रहेगा। कहीं अधिक और कहीं कम वर्षा होगी। रेगिस्तानी और पर्वतीय इलाकों में इस बार अधिक वर्षा की संभावना है।
खेती-किसानी पर प्रभाव
बारिश अनाज और धान की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करेगी। साथ ही दूध और पेय पदार्थों में तेजी रहेगी। जौ, गेहूं, राई, सरसों, चना, बाजरा, मूंग जैसी फसलों की उपज भी आशानुकूल होगी। किसानों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है।
नौतपा केवल गर्मी नहीं, बल्कि आने वाले वर्षा ऋतु की पूर्व सूचना भी देता है। अगर यह नौ दिन तपते हैं तो आने वाले मानसून में अच्छी बारिश होती है। खगोल और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय है जिसका प्रभाव प्राकृतिक परिवर्तनों से लेकर मानव जीवन और कृषि तक हर स्तर पर देखा जाता है।