✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत (पाली)। शहर के मुख्य बाजारों से लेकर गली-मोहल्लों तक खुलेआम प्रतिबंधित सिगरेटों की बिक्री हो रही है। खास बात यह है कि इन सिगरेटों की न तो एमआरपी स्पष्ट है, न ही पैकेट पर वैधानिक चेतावनी पूरी तरह छपी हुई है। इसके बावजूद दुकानदार इन्हें बिना रोकटोक के बेच रहे हैं और सबसे चिंता की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह मौन बना हुआ है।
प्रतिबंधित फ्लेवर वाली सिगरेटें युवाओं को बना रही निशाना
इन सिगरेटों में पान मसाला फ्लेवर, चॉकलेट फ्लेवर, मिंट और कई तरह के आकर्षक सुगंध मिलाए जा रहे हैं जो खासतौर पर किशोरों और युवाओं को लुभाते हैं। भारत सरकार ने ऐसी फ्लेवर वाली सिगरेटों पर रोक लगा रखी है क्योंकि ये युवाओं को तेजी से निकोटीन की लत में धकेलती हैं। इसके बावजूद सोजत में इनकी बिक्री में कोई कमी नहीं आ रही है।
कई दुकानें बन गई हैं अघोषित तंबाकू केंद्र
शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, स्कूल-कॉलेजों के आसपास की पान की दुकानें प्रतिबंधित सिगरेटों और तंबाकू उत्पादों का अड्डा बन चुकी हैं। यहां खुलेआम नाबालिग बच्चों को भी सिगरेट बेची जा रही है। न कोई पहचान पूछता है, न ही उम्र।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
स्थानीय नागरिकों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन को इसकी शिकायत दी, लेकिन आज तक न कोई ठोस कार्रवाई हुई, न ही किसी दुकान पर छापा मारा गया। स्वास्थ्य विभाग की इस चुप्पी से अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं इसमें विभाग की मिलीभगत तो नहीं?
युवाओं के स्वास्थ्य पर खतरा, फेफड़ों के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा
चिकित्सकों का कहना है कि फ्लेवरयुक्त सिगरेटें साधारण सिगरेटों की तुलना में ज्यादा खतरनाक होती हैं। इनमें मौजूद रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं को तेजी से नष्ट करते हैं और युवाओं को कम उम्र में ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में ला सकते हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय समाजसेवी रामलाल सोलंकी का कहना है, “हर गली में सिगरेट और गुटखे की दुकानें हैं। बच्चे स्कूल से निकलकर सीधे इन दुकानों पर पहुंचते हैं। सरकार ने भले ही कानून बना रखा हो, लेकिन उसका पालन कौन करवा रहा है?”
जनप्रतिनिधियों की भी चुप्पी खल रही
स्थानीय जनप्रतिनिधि, चाहे पार्षद हों या विधायक, इस गंभीर विषय पर कोई बयान नहीं दे रहे हैं। जबकि यह मामला सीधे जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा है।
मांग उठ रही है सख्त कार्रवाई की
अब सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों की मांग है कि—
- स्वास्थ्य विभाग तत्काल प्रभाव से छापेमारी करे।
- दोषी दुकानदारों पर जुर्माना और लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई हो।
- स्कूल-कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगे।
- जनजागरूकता अभियान चलाकर युवाओं को इन उत्पादों के खतरों से अवगत कराया जाए।
सोजत में प्रतिबंधित सिगरेटों की धड़ल्ले से बिक्री एक खतरनाक ट्रेंड का संकेत है। यदि समय रहते स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन जागरूक नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में यहां युवाओं का स्वास्थ्य गंभीर संकट में पड़ सकता है। यह समय है सख्त कार्रवाई का, वरना परिणाम भयावह होंगे।