✍🏻 वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

सोजत
आज की आधुनिक कृषि प्रणाली में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग पैदावार बढ़ाने के लिए एक आम बात हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला उर्वरक है यूरिया (Urea)। यह एक नाइट्रोजन-आधारित रसायन है, जो फसल की तेजी से वृद्धि में सहायक होता है। लेकिन कम लागत और त्वरित परिणाम के चक्कर में इसके बेतहाशा और असंतुलित उपयोग ने मानव स्वास्थ्य, मिट्टी की गुणवत्ता, और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे पैदा कर दिए हैं।
यह रिपोर्ट यूरिया के शरीर में प्रवेश के रास्तों, मानव अंगों पर इसके खतरनाक प्रभावों और बचाव के उपायों की गहराई से पड़ताल करती है।
🔬 यूरिया क्या है और यह शरीर में कैसे पहुंचता है?
यूरिया का रासायनिक सूत्र है CO(NH₂)₂। यह एक सफेद, क्रिस्टलीय यौगिक है जो नाइट्रोजन का सस्ता स्रोत माना जाता है। हालांकि शरीर में यह प्राकृतिक रूप से प्रोटीन के टूटने पर भी बनता है, लेकिन जब यह रासायनिक रूप में भोजन, पानी या वायु के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है, तो यह ज़हर की तरह काम करता है।
➤ शरीर में प्रवेश के प्रमुख स्रोत:
- भोजन के माध्यम से: सब्जी, फल या अनाज जिनमें यूरिया का अत्यधिक प्रयोग हुआ हो।
- पानी के माध्यम से: भूजल में घुलकर यूरिया पीने के पानी तक पहुंच सकता है।
- वायुमंडल से: खेतों में छिड़काव के दौरान वायु में घुलकर फेफड़ों के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है।
⚠️ यूरिया का मानव शरीर पर असर
1️⃣ गुर्दे (किडनी) पर हमला:
यूरिया एक अपशिष्ट है जिसे किडनी फिल्टर करती है।
परंतु जब यह अधिक मात्रा में शरीर में पहुंचता है, तो किडनी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) या यूरिमिया जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं।
लक्षण: थकावट, भूख न लगना, पेशाब में जलन, उल्टी।
2️⃣ पाचन तंत्र में गड़बड़ी:
यूरिया से दूषित खाद्य पदार्थ खाने से गैस, पेट दर्द, उल्टी, दस्त की समस्या हो सकती है।
बच्चों में यह असर और भी गंभीर होता है क्योंकि उनका पाचन तंत्र कमजोर होता है।
3️⃣ त्वचा और आंखों पर प्रभाव:
छिड़काव या भंडारण के दौरान संपर्क से त्वचा पर खुजली, जलन, चकत्ते और आंखों में जलन या पानी आना आम है।
4️⃣ प्रजनन क्षमता पर चोट:
कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि लंबे समय तक यूरिया के संपर्क में रहने से हार्मोनल असंतुलन, शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट और प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है।
5️⃣ मस्तिष्क पर प्रभाव:
जब रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ती है तो यह सिरदर्द, चक्कर, भ्रम और चेतना की कमी जैसे लक्षण उत्पन्न करता है।
लंबे समय में यह यूरिमिक एन्सेफलोपैथी (Uremic Encephalopathy) जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है।
👨🌾 सबसे अधिक खतरे में कौन?
वर्ग जोखिम किसान सीधे यूरिया का छिड़काव करते हैं, वायुमंडलीय और त्वचा से संपर्क। शहरी उपभोक्ता बिना धोए खाद्य पदार्थों का सेवन। बच्चे व बुजुर्ग रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण तेजी से प्रभावित होते हैं।
✅ सावधानियां और समाधान
- खाद्य पदार्थों को धोकर और पकाकर खाएं।
- जैविक/ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद अपनाएं।
- किसानों को यूरिया के सुरक्षित उपयोग की जानकारी दी जाए।
- पीने के पानी की नियमित जांच हो।
- प्रभावित लोगों के लिए समय-समय पर मेडिकल चेकअप, विशेषकर किडनी टेस्ट अनिवार्य किया जाए।
जहां यूरिया ने कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने में सहायता की है, वहीं इसके अंधाधुंध उपयोग ने मानव जीवन को अदृश्य ख़तरे में डाल दिया है।
समय की मांग है कि हम संतुलन बनाए रखें, जैविक खेती को बढ़ावा दें और जागरूकता फैलाएं, ताकि यह वरदान ज़हर में न बदल जाए।
यूरिया तब तक लाभकारी है, जब तक उसका प्रयोग संयमित हो। वरना यह चुपचाप हमारी सेहत को खोखला कर रहा है।
✍🏻 वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा