| ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

सोजत/राजस्थान – केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ देश के लाखों जरूरतमंदों तक तो पहुंच रहा है, लेकिन राजस्थान में हजारों किसान आज भी इस योजना से पूरी तरह वंचित हैं। खासकर वे किसान जो अपने खेतों में झोपड़ीनुमा या अस्थायी आवासों में रहकर पशुपालन करते हैं और खेती में दिन-रात लगे रहते हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
किसान खेतों में, लेकिन योजना शहरों में सिमटी
राजस्थान के कई जिलों में बड़ी संख्या में किसान अपने खेतों में ही निवास करते हैं, ताकि गाय, भैंस, बकरियों और अन्य पशुओं की देखभाल कर सकें। ये किसान अपने छोटे-छोटे कच्चे घरों या झोंपड़ियों में रहते हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उनका निवास खेत के बजाय गांव के किसी और पते पर दर्ज होता है, जिससे वे PMAY के पात्र नहीं माने जाते।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी, किसानों में गहरा रोष
यह विडंबना ही है कि जिन किसानों के वोटों से नेता चुनकर संसद और विधानसभा तक पहुंचते हैं, वही नेता किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण किसानों की उपेक्षा से किसान समुदाय में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि शहरों और गांवों में बने पक्के मकानों के लिए तो आवास स्वीकृत हो जाते हैं, लेकिन खेतों में बसे मेहनतकश किसानों की कोई सुनवाई नहीं होती।
‘हम गायों के साथ हैं, सरकार कागजों के साथ’: किसान
राजस्थान के कई किसान कहते हैं –
“हम दिन-रात खेतों में रहते हैं, अपने पशुओं के साथ। हमारी दिनचर्या वहीं शुरू और खत्म होती है। लेकिन सरकार को हमारी स्थिति दिखाई नहीं देती। कागजी प्रक्रिया और अधिकारियों की लापरवाही ने हमें इस योजना से दूर कर दिया है।”
प्रशासनिक अड़चनों ने रोका रास्ता
“अगर हम भूमि पर कब्जाधारी हैं, वर्षों से खेती कर रहे हैं, तो क्या हमारा हक नहीं बनता कि हमें एक छत मिले?”
क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता
किसान कल्याण के लिए कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का दायरा बढ़ाया जाए और खेत में रहने वाले किसानों के लिए विशेष प्रावधान किया जाए। उनका तर्क है कि ये किसान देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ हैं और उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
सरकार से अपील: नीति में हो बदलाव
किसानों ने सरकार से मांग की है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में खेत में रहने वालों को भी पात्र माना जाए, भले ही उनका स्थायी निवास किसी गांव में दर्ज हो। राजस्व रिकॉर्ड, उपस्थिति रिपोर्ट, ग्राम पंचायत से प्रमाणन जैसे विकल्पों से उनकी पात्रता सुनिश्चित की जा सकती है।
राजस्थान में हजारों किसान आज भी आवास जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं, जबकि वे देश की अर्थव्यवस्था और कृषि की रीढ़ हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अगर खेतों में बसे इन अन्नदाताओं तक नहीं पहुंचा, तो यह योजना अधूरी ही मानी जाएगी। अब वक्त है कि नीति नियंता और जनप्रतिनिधि इस पर गंभीरता से ध्यान दें।