✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत (पाली)।
राजस्थान सरकार द्वारा बैलों से खेती करने वाले लघु और सीमांत किसानों के लिए बजट में घोषित 30 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। इस बीच प्रदेश में खरीफ सीजन की लगभग पूरी बुवाई हो चुकी है। किसानों ने बाजरा, मूंग, तिल, उड़द और ग्वार जैसी फसलें बो दी हैं। कुछेक क्षेत्रों में केवल ग्वार की बुवाई बाकी है। ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि रबी सीजन में किसानों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा।
कागज़ों में सिमटी योजना, इंतजार में किसान
सरकार ने बजट में यह घोषणा की थी कि बैलों से खेती करने वाले किसानों को आर्थिक संबल देने के लिए उन्हें 30 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जिससे पारंपरिक खेती को बढ़ावा मिले और पशुधन का संरक्षण भी हो। मगर योजना अभी कागजों में ही उलझी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, इस योजना की अधिसूचना सभी जिला मुख्यालयों को भेज दी गई है और पोर्टल के विकास की प्रक्रिया चल रही है। जब तक पोर्टल तैयार नहीं हो जाता, तब तक किसानों से आवेदन नहीं लिए जा सकते।
योजना में नियमों का जाल, पात्रता की कड़ी शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कई शर्तों का पालन करना होगा। सबसे प्रमुख शर्त यह है कि किसान के पास दो बैल होने चाहिए, एक बैल वाले किसानों को योजना में पात्र नहीं माना जाएगा।
इसके अलावा,
- किसान का लघु या सीमांत होना जरूरी है, जिसके लिए तहसीलदार से प्रमाण पत्र लेना होगा।
- बैलों का बीमा होना अनिवार्य है और उनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- पुजारियों को भी योजना में शामिल किया गया है, बशर्ते उनके पास मंदिर की भूमि पर खेती करने का दस्तावेज और संरक्षक प्रमाणपत्र हो।
- वनाधिकार पट्टाधारी किसान भी पात्र होंगे, यदि पट्टे में क्षेत्रफल, स्थान, अक्षांश और देशांतर स्पष्ट रूप से अंकित हो।
ई-मित्र और राज किसान साथी पोर्टल से कर सकेंगे आवेदन
किसान अपने आवेदन ई-मित्र या राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें निम्न दस्तावेज अपलोड करने होंगे:
- जनआधार कार्ड
- आधार कार्ड
- जमाबंदी
- बैलों के साथ फोटो
- पशु बीमा और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र
- 100 रुपये के स्टांप पर शपथ पत्र
- लघु या सीमांत किसान प्रमाण पत्र
- यदि लागू हो, तो वनाधिकार पट्टा या मंदिर संरक्षक का प्रमाण
प्रोत्साहन राशि सीधे जनआधार से जुड़े खाते में
आवेदनों की भौतिक जांच के बाद वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी और राशि सीधे किसान के जनआधार से जुड़े खाते में ट्रांसफर की जाएगी। स्थानीय कर्मचारी किसान और उसके बैलों के साथ जियो टैग युक्त फोटो भी खींचेंगे ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके।
किसानों की नाराजगी: खरीफ निकल गया, अब रबी की आस
कई किसानों का कहना है कि सरकार ने घोषणा तो कर दी, लेकिन जब फसलों की बुवाई हो चुकी है तब योजना के लाभ मिलने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
अब किसानों की नजरें रबी सीजन पर टिकी हैं। अगर तब तक योजना लागू नहीं हुई, तो सरकार की नीयत और व्यवस्था पर सवाल उठने तय हैं।
खरीफ की फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है लेकिन बैलों से खेती करने वाले किसानों के लिए घोषित 30 हजार रुपये की सहायता अब भी अधर में है। अगर सरकार इसे जल्द लागू नहीं करती है, तो पारंपरिक खेती को प्रोत्साहन देने की मंशा मात्र घोषणा बनकर रह जाएगी।