✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत।
सोजत कृषि उपज मंडी अब अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा बोझ ढो रही है। वर्षों पहले बनी यह मंडी आज के हालात में किसानों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही है। खासकर मेहंदी उत्पादक किसान हर बार बारिश के मौसम में भारी परेशानी उठाते हैं। मंडी छोटी होने के कारण फसल को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती, जिससे मेहंदी के कई बोरे भीग जाते हैं और किसानों को प्रति वर्ष लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
✅ बारिश से मेहंदी के बोरे खराब, किसान परेशान — प्रशासन को परवाह नहीं!
अभी भी सोजत नगर में हल्की बारिश होते ही मंडी परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है। किसान अपनी रातें जगकर बोरे संभालते हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दे रहे। किसान बोले — “हमारी मेहनत से तैयार की गई मेहंदी का बोरा भीग जाए तो सालभर की मेहनत पर पानी फिर जाता है, लेकिन अधिकारियों को इसकी जरा भी चिंता नहीं।”
✅ सालों से लंबित मांग : ‘नई व बड़ी मंडी’ बने, तभी मिलेगा समाधान
स्थानीय किसानों का कहना है कि सोजत की वर्तमान कृषि उपज मंडी अब शहर के बीच घिर चुकी है और इतनी छोटी है कि सीजन में जगह की भारी कमी हो जाती है।
किसान संगठनों ने कई बार प्रशासन से आग्रह किया कि—
- सोजत नगर के बाहर नए व बड़े स्थान पर आधुनिक कृषि उपज मंडी स्थापित की जाए
- फसलों को बारिश से बचाने के लिए बड़े शेड और पक्की प्लेटफॉर्म बनाए जाएं
- मेहंदी बोरे के सुरक्षित भंडारण के लिए वेयरहाउस बढ़ाए जाएं
लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
✅ हर वर्ष लाखों रुपये का नुकसान — आखिर कब जागेगा प्रशासन?
मंडी के छोटे आकार और अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण मेहंदी सहित अन्य फसलों को नुकसान होने पर किसान मजबूर होकर ओने-पोने दामों पर बिक्री कर देते हैं। इससे बाजार भाव भी प्रभावित होता है और किसानों को अपनी असली कीमत नहीं मिल पाती।
कई किसान इस स्थिति को “प्रशासन की गहरी नींद” बताते हैं। उनका कहना है कि—
“जनप्रतिनिधि और अधिकारी केवल कागज़ों में मंडी को व्यवस्थित दिखाते हैं, जमीन पर हकीकत कुछ और है। किसान रोज नुकसान झेल रहा है।”
✅ समाधान क्या?
किसानों ने जोर देकर कहा है कि—
✅ सोजत में तुरंत एक नई, बड़ी और आधुनिक कृषि उपज मंडी का निर्माण होना चाहिए।
✅ मंडी शहर से बाहर खुले क्षेत्र में बनाई जाए, जहाँ
- पार्किंग की सुविधा,
- बड़े शेड,
- वेयरहाउस,
- तौल-कांटा व्यवस्था
आसानी से विकसित की जा सके।
✅ किसानों की एक स्वर में मांग : “अब नई मंडी बनाओ — हमारी मेहनत बचाओ!”
किसानों ने साफ कहा है कि यदि जल्द ही नई कृषि उपज मंडी बनाने की दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
