वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली: देश में चुनाव प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा में बुधवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) बिल को भारी बहुमत से पारित कर दिया गया। इस बिल के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में केवल 68 सांसदों ने अपना विरोध दर्ज कराया।

Breaking News: ‘एक देश एक चुनाव’ बिल लोकसभा में बहुमत से स्वीकृत, 269 सांसदों का समर्थन
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल?
‘एक देश, एक चुनाव’ बिल का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है, ताकि बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया से बचा जा सके। सरकार का दावा है कि इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी प्रभावी सुधार होगा।
लोकसभा में कैसे हुआ बिल पारित?
बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी ने तर्क दिया कि यह बिल देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाएगा। विपक्ष ने इसे राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप बताते हुए विरोध किया।
सरकार का पक्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा, “यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करेगा और संसाधनों की बर्बादी को रोकेगा। ‘एक देश, एक चुनाव’ जनता की मांग है, और यह भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम है।”
विपक्ष के तर्क
विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि यह राज्यों की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करेगा। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने इसे “लोकतंत्र के लिए खतरा” बताया।
अब आगे क्या?
बिल के लोकसभा में पारित होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है, ऐसे में वहां यह बिल कड़ी परीक्षा का सामना कर सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
देशभर में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह बिल कानून बनता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। वहीं, आम जनता में भी इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार, इस कानून के लागू होने से चुनाव आयोग के समक्ष कई नई चुनौतियां खड़ी होंगी। लेकिन यह भी संभावना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता को बल मिलेगा।
‘एक देश, एक चुनाव’ बिल का लोकसभा में पारित होना भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम है। अब राज्यसभा में इसकी अग्निपरीक्षा होगी। देश की जनता और राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा जारी है।