राजस्थान की राजनीति में इन दिनों बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली स्थित उनके आवास पर देर रात मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं और अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी दिल्ली में सक्रिय हैं और उनके लगातार दिल्ली दौरे को सियासी दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।
अमित शाह और सीएम भजनलाल शर्मा की मुलाकात
सोमवार की रात सीएम भजनलाल शर्मा ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक में राजस्थान के सत्ता और संगठन से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी गंभीर मंथन हुआ। भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल में फिलहाल 6 पद खाली हैं, और आने वाले दिनों में इन खाली पदों को भरने के लिए बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा फिलहाल जोधपुर हाउस में ठहरे हुए हैं। इस मुलाकात के दौरान संगठन और सरकार में संतुलन बनाने की दिशा में भी चर्चाएं हुईं।

राजस्थान की राजनीति में हलचल: अमित शाह से सीएम भजनलाल शर्मा की मुलाकात और वसुंधरा राजे की दिल्ली में सक्रियता से अटकलें तेज
वसुंधरा राजे की दिल्ली सक्रियता और संभावित भूमिका
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों दिल्ली में सक्रिय हैं। बीते दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी, जिससे उनके समर्थकों के बीच उम्मीदें बढ़ गई हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे अपने करीबी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए कोशिश कर रही हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में जिन नेताओं के नाम सबसे आगे चल रहे हैं, उनमें वसुंधरा राजे के करीबी कालीचरण सराफ, अनिता भदेल, श्रीचंद कृपलानी और पुष्पेंद्र सिंह राणावत शामिल हैं। ये चारों नेता वसुंधरा राजे के कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं और उनकी निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। इनके अलावा जयदीप बियानी, आदूराम मेघवाल, हंसराज मीणा, रामविलास मीणा और गोवर्धन वर्मा का नाम भी संभावित मंत्रियों की सूची में है।
मंत्रिमंडल विस्तार के समीकरण
वर्तमान में राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 24 मंत्री हैं। राज्य में नियम के अनुसार, विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या का 15% मंत्री बनाया जा सकता है। इस हिसाब से राजस्थान में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं।
भजनलाल सरकार के एक साल पूरे होने पर मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं। इस विस्तार में खाली 6 पदों को भरने के लिए राजे समर्थकों को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।
भाजपा संगठन में बदलाव के संकेत
सिर्फ सरकार में ही नहीं, बल्कि भाजपा संगठन में भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। जुलाई 2024 में मदन राठौड़ को भाजपा का नया प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने अब तक संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, जैसे राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया, को संगठन में प्रमुख जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा, सीपी जोशी की पुरानी टीम को बदलकर नई रणनीति तैयार करने पर विचार किया जा रहा है।
राजनीतिक हलचल के बड़े मायने
राजस्थान में 2024 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह सियासी गतिविधियां राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत देती हैं।
- मंत्रिमंडल विस्तार: इससे पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखने की कोशिश होगी।
- संगठन में बदलाव: भाजपा को चुनावी रणनीति के लिए नई ऊर्जा और टीम की जरूरत है।
- वसुंधरा राजे की भूमिका: राजे समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह देने से उनके प्रभाव को फिर से स्थापित किया जा सकता है।
भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनावी तैयारी
राजस्थान की सियासत में इन हलचलों का सीधा असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा। भाजपा की ओर से जहां वसुंधरा राजे और भजनलाल शर्मा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश होगी, वहीं कांग्रेस अपने गहलोत बनाम पायलट विवाद से उबरकर मजबूती से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।