✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
प्रयागराज।
एप्पल के सह-संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने दुनिया भर में सनसनी मचा दी है। 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में भाग लेने के लिए वे प्रयागराज पहुंचेंगी। खास बात यह है कि वे दो सप्ताह तक साध्वी का रूप धारण कर तप और साधना करेंगी। लॉरेन का यह कदम न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के आध्यात्मिक और तकनीकी जगत में चर्चा का विषय बन गया है।
महाकुंभ: एक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन
महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक आयोजन है, जो हर बारह साल में आयोजित होता है। प्रयागराज, गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर इस विशाल आयोजन का महत्व अपार है। हर बार यह आयोजन लाखों संत-महात्माओं, श्रद्धालुओं और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स के इस आयोजन में भाग लेने की खबर से महाकुंभ का महत्व और बढ़ गया है। वे न केवल एक वैश्विक हस्ती हैं, बल्कि आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के प्रति उनका झुकाव दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन रहा है।
साध्वी रूप में 2 सप्ताह का तप
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने घोषणा की है कि वे महाकुंभ में दो सप्ताह तक साध्वी बनकर तप और साधना करेंगी। इस दौरान वे संगम में स्नान, ध्यान और आध्यात्मिक प्रवचनों में हिस्सा लेंगी। साधु-संतों के साथ रहने और हिंदू धर्म की गहराइयों को समझने के लिए यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा का हिस्सा है।
आध्यात्मिकता और स्टीव जॉब्स का भारतीय कनेक्शन
स्टीव जॉब्स का भारत और अध्यात्म के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने भी अपनी युवावस्था में भारतीय संतों से प्रेरणा ली और काशी तथा हरिद्वार जैसे स्थानों की यात्रा की थी। लॉरेन पॉवेल जॉब्स का यह कदम स्टीव जॉब्स की इसी विरासत को आगे बढ़ाने जैसा है।
महाकुंभ में अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण
लॉरेन पॉवेल जॉब्स की भागीदारी ने इस बार के महाकुंभ को अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बना दिया है। दुनियाभर के मीडिया और धार्मिक संगठनों की नजरें इस पर टिक गई हैं। भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
महाकुंभ में लॉरेन की भागीदारी को लेकर श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में उत्साह है। संत समाज ने इसे भारतीय संस्कृति की महानता और सार्वभौमिकता का प्रतीक बताया है। वहीं, विदेशी मीडिया इसे आध्यात्म और तकनीक के बीच का अद्भुत संगम मान रहा है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का महाकुंभ में भाग लेना न केवल एक ऐतिहासिक घटना है बल्कि यह भारतीय आध्यात्म और संस्कृति के प्रति वैश्विक रुचि का प्रतीक भी है। उनकी साध्वी रूप में तपस्या न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में बदलाव ला सकती है, बल्कि यह दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है।