राजस्थान के सीकर जिले में आवारा पशुओं के आतंक की एक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसमें एक 18 वर्षीय छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। रामलीला मैदान के पास, जब छात्र ट्यूशन से लौट रहा था, एक आवारा सांड ने उसे अपनी चपेट में ले लिया और उस पर हमला कर दिया। हमले के दौरान सांड का सींग छात्र के सीने में 2 से 3 इंच तक घुस गया, जिससे उसकी तीन पसलियां टूट गईं। यह घटना न केवल छात्र के लिए बल्कि पूरी नगर पालिका के लिए एक बड़ा सुरक्षा सवाल खड़ा करती है, क्योंकि यह कोई पहली बार नहीं है जब आवारा पशुओं के कारण किसी की जान पर बन आई हो।

सीकर में आवारा सांड का हमला: ट्यूशन से लौट रहे छात्र की पसलियां टूटीं, सीने में घुसा सींग
घटना का विवरण
यह घटना शाम लगभग 6 से 7 बजे के बीच हुई। विनोद शर्मा नामक यह छात्र ट्यूशन से लौटकर घर जा रहा था और जैसे ही वह गुरुद्वारे के पास स्थित रोड से गुजर रहा था, अचानक एक आवारा सांड ने उसकी बाइक को कट मारा। विनोद बाइक से गिर गया और सांड ने तुरंत उस पर हमला कर दिया। हमले में सांड का सींग उसके सीने में घुस गया, जिससे छात्र की तीन पसलियां टूट गईं। वह बुरी तरह से घायल हो गया।
आसपास से गुजर रहे स्थानीय लोगों और उसके दोस्तों ने विनोद को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। उनकी तत्परता से उसका जीवन बचा, लेकिन उसकी स्थिति अब भी गंभीर है।
घायल छात्र की हालत और परिवार का बयान
विनोद शर्मा की हालत गंभीर बताई जा रही है। उसके पिता करणदीप शर्मा ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि उनका बेटा ट्यूशन से लौटते वक्त अचानक इस हमले का शिकार हो गया। करणदीप शर्मा ने कहा, “यह घटना हमारे लिए एक बड़े सदमे की तरह है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा इस तरह से घायल होगा। इस हमले में उसके तीन पसलियां टूट चुकी हैं और वह अब भी जीवन-मरण की स्थिति में है।”
विनोद की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है, और उसे अस्पताल में उपचार मिल रहा है। चिकित्सकों के अनुसार, सांड का सींग छात्र के सीने में काफी गहरे तक घुस गया था, जिससे अंदरूनी अंगों को भी नुकसान पहुंचा है।
आवारा पशुओं का बढ़ता आतंक
सीकर में यह कोई पहली बार नहीं है जब आवारा पशुओं के हमले से किसी की जान को खतरा हुआ है। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जहां आवारा सांडों और गायों ने लोगों को गंभीर रूप से घायल किया या उनके वाहन को नुकसान पहुंचाया। हालांकि प्रशासन ने हर बार इन्हें शहर से बाहर ले जाने के प्रयास किए हैं, लेकिन ये प्रयास हमेशा अस्थायी ही रहे हैं।
कभी-कभी तो प्रशासन आवारा पशुओं के खिलाफ कार्रवाई करता है और उन्हें शहर से बाहर भेजता है, लेकिन कुछ समय बाद ये पशु फिर से शहर में लौट आते हैं। नतीजा यह होता है कि शहरवासियों को फिर से इन पशुओं के साथ संघर्ष करना पड़ता है।
प्रशासन की निष्क्रियता और लोगों में गुस्सा
सीकर में हर बार यही समस्या सामने आती है कि प्रशासन कुछ समय तक ही आवारा पशुओं के खिलाफ सक्रिय रहता है। जब तक यह समस्या मीडिया की सुर्खियों में रहती है, प्रशासन कुछ कदम उठाता है, लेकिन जैसे ही मामला शांत हो जाता है, प्रशासन अपनी सक्रियता को कम कर देता है। इसके परिणामस्वरूप, यह समस्या फिर से उठ खड़ी होती है।
इस घटना के बाद अब सीकर के लोग गुस्से में हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने पहले इस समस्या को गंभीरता से लिया होता, तो आज विनोद जैसे छात्रों को इस दर्दनाक हमले का शिकार नहीं होना पड़ता।
सीकर के लोग चाहते हैं ठोस कदम
सीकर के लोग अब यह मांग कर रहे हैं कि प्रशासन को आवारा पशुओं के खिलाफ ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्हें शहर से बाहर भेजने के बजाय, प्रशासन को इन पशुओं को इकट्ठा कर सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय निवासियों ने यह भी सुझाव दिया कि नगर निगम को सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के लिए एक विशेष टीम का गठन करना चाहिए, जो इन पशुओं को नियमित रूप से पकड़ कर सुरक्षित स्थानों पर भेज सके।
लोगों का यह भी कहना है कि यदि आवारा पशुओं का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो भविष्य में और भी कई ऐसी घटनाएं घट सकती हैं, जिससे न केवल लोगों की जान को खतरा हो सकता है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही की भी पोल खुल सकती है।
समाज में जागरूकता की जरूरत
इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि समाज में आवारा पशुओं के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है। लोग यह समझें कि यह समस्या केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। यदि सभी लोग अपने आसपास के इलाकों में आवारा पशुओं के बारे में सतर्क रहें और उन्हें सड़क से दूर रखने में मदद करें, तो यह समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है।
आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी विशेष जागरूकता अभियानों की जरूरत है। ग्राम पंचायतों को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।