सोजत न्यूज़ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा




जूनागढ़।
जूनागढ़ के एसपी हर्षद मेहता ने अपने जीवन में ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसने पूरे पुलिस विभाग और समाज को प्रेरित कर दिया। 11 जनवरी 2025 को उन्होंने अपनी प्रतिष्ठित आईपीएस नौकरी से त्यागपत्र देकर अध्यात्म की राह पर चलने का संकल्प लिया। उन्होंने जैन धर्म की दीक्षा लेने का निर्णय लिया है, जो उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।
विदाई के दौरान भावुक माहौल
जूनागढ़ पुलिस विभाग ने अपने प्रिय एसपी को भावभीनी विदाई दी। विदाई समारोह में मौजूद पुलिसकर्मी और अधिकारी उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करने आए। सभी ने एकमत से यह स्वीकार किया कि ऐसे ईमानदार और निष्ठावान अधिकारी का विभाग से जाना एक बड़ी क्षति है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हर्षद मेहता जैसा अधिकारी मिलना दुर्लभ है। उन्होंने हमेशा न्याय और ईमानदारी के साथ काम किया। उनकी सेवा का हर क्षण हमारे लिए प्रेरणादायक रहेगा।”
त्याग का अनूठा उदाहरण
हर्षद मेहता ने अपने फैसले से यह संदेश दिया है कि जीवन की सच्ची शांति और संतोष केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मार्ग में है। एक प्रतिष्ठित आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने संसारिक जीवन को त्यागने और आत्मा की शुद्धि के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।
जैन दीक्षा का महत्व
हर्षद मेहता जल्द ही जैन दीक्षा लेकर अपने नए जीवन की शुरुआत करेंगे। जैन दीक्षा का अर्थ है सांसारिक जीवन से मुक्त होकर संयम और साधना के जीवन को अपनाना। यह निर्णय न केवल उनका व्यक्तिगत है, बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए किसी भी चीज़ का त्याग किया जा सकता है।
समाज में प्रेरणा का स्रोत
हर्षद मेहता का यह कदम केवल पुलिस विभाग ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है। जहां एक ओर लोग भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भाग रहे हैं, वहीं उन्होंने अध्यात्म को प्राथमिकता देते हुए जीवन के गहरे अर्थ को समझने का मार्ग चुना।
उनका संदेश
हर्षद मेहता ने कहा, “जीवन में धन, पद और प्रतिष्ठा से भी बड़ी चीज़ है आत्मा की शांति। मैंने यह निर्णय अपने अंतरात्मा की आवाज़ पर लिया है। मेरी कामना है कि हर कोई अपने जीवन का सच्चा उद्देश्य पहचाने और शांति के मार्ग पर आगे बढ़े।”
कौन हैं हर्षद मेहता?
हर्षद मेहता एक तेजतर्रार और ईमानदार आईपीएस अधिकारी के रूप में जाने जाते थे। अपनी सेवा के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाया और समाज में न्याय की स्थापना की। उनकी कार्यशैली और निष्ठा ने उन्हें जूनागढ़ के नागरिकों और पुलिस विभाग के बीच बेहद लोकप्रिय बनाया।
समाज की प्रतिक्रिया
हर्षद मेहता के इस निर्णय से समाज में आश्चर्य और प्रशंसा का माहौल है। हर कोई उनकी इस अद्वितीय यात्रा को सलाम कर रहा है।
“धर्म का मार्ग चुनने के लिए त्याग चाहिए, और यह त्याग हमें सिखाता है कि वास्तविक सफलता आत्मा की शांति में है। हर्षद मेहता ने इस बात को प्रमाणित किया है।”
हर्षद मेहता का जीवन और उनका यह निर्णय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित किया है कि सच्चा नेतृत्व केवल पद और सत्ता में नहीं, बल्कि नैतिकता, आत्मिक शांति और समाज के कल्याण के लिए किए गए त्याग में है। उनका यह कदम हमेशा याद रखा जाएगा।