✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
भारत की धार्मिक परंपराएं और उत्सव दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुंभ मेला सबसे महत्वपूर्ण और भव्य आयोजन माना जाता है। कुंभ मेले के तीन प्रमुख प्रकार हैं—अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ, और महा कुंभ। इन तीनों में अंतर उनकी आवृत्ति, महत्व, और आयोजन स्थल पर आधारित है।
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अर्ध कुंभ मेला: हर 6 वर्ष में आयोजित होता है
अर्ध कुंभ मेला हर 6 वर्ष में चार पवित्र स्थानों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है।
महत्व: यह मेला कुंभ मेले का एक छोटा संस्करण है, लेकिन इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है।
विशेषता:
श्रद्धालु पवित्र स्नान कर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास रखते हैं।
इस दौरान लाखों भक्त देश-विदेश से आते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
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पूर्ण कुंभ मेला: हर 12 वर्ष में होता है आयोजन
पूर्ण कुंभ मेला 12 वर्ष में एक बार आयोजित होता है। इसका आयोजन उस समय होता है जब बृहस्पति और सूर्य कुंभ राशि में होते हैं।
आयोजन स्थल: हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक।
धार्मिक महत्व:
त्रिवेणी संगम में स्नान को मोक्ष और पापों के नाश का माध्यम माना जाता है।
साधु-संतों की भव्य उपस्थिति और धार्मिक प्रवचन मेले को और भी पवित्र बनाते हैं।
विशालता: लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मेले में भाग लेते हैं।
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महा कुंभ मेला: हर 144 वर्ष में होता है आयोजन
महा कुंभ मेला कुंभ मेलों का सबसे बड़ा और दुर्लभ आयोजन है। इसे ‘कुंभ का महाकुंभ’ कहा जाता है और यह हर 144 वर्षों में एक बार प्रयागराज में आयोजित होता है।
खासियत:
इसकी तिथियां सूर्य, बृहस्पति, और चंद्रमा के कुंभ राशि में विशेष संयोग पर आधारित होती हैं।
करोड़ों श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेते हैं।
धार्मिक महत्व:
महाकुंभ को अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसमें स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष और आत्मा की शुद्धि की प्राप्ति होती है।
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कुंभ मेलों का महत्व
धार्मिक दृष्टि: सभी कुंभ मेलों में स्नान और पूजा-अर्चना का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्त करना है।
सांस्कृतिक योगदान: ये मेले भारत की धार्मिक विविधता, भव्यता और एकता का अद्भुत उदाहरण हैं।
ज्योतिषीय पहलू: सभी कुंभ मेले ग्रहों की विशिष्ट स्थिति और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर आयोजित होते हैं।
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अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महा कुंभ मेले में प्रमुख अंतर उनकी आयोजन की आवृत्ति, महत्व, और विशेष ज्योतिषीय संयोगों पर आधारित है। ये मेले भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक हैं। महा कुंभ मेला अपनी दुर्लभता और भव्यता के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाती है।