✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
गुरुवार को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन सही विधि से पूजा करने पर विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पूजा की सामग्री:
1. पीले पुष्प
2. तुलसी दल
3. गुड़
4. आँवला
5. भीगी हुई चने की दाल
पूजा की विधि:
भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष पीले पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
गुड़ और आँवले का भोग लगाएं।
भीगी हुई चने की दाल भगवान को अर्पित करें।
भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
इससे भगवान विष्णु की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है और माता लक्ष्मी का घर में वास होता है।
तृतीया को माता गौरी और कुबेर जी की पूजा का महत्व
माता गौरी की पूजा:
तृतीया तिथि को माता गौरी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
दूध की मिठाई और सफेद फूल माता गौरी को अर्पित करें।
“ॐ गौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
इससे परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य का वास होता है।
कुबेर जी की पूजा:
तृतीया के दिन कुबेर देवता की पूजा ऐश्वर्य और धन प्राप्ति के लिए की जाती है।
बेल पत्र कुबेर जी को अर्पित करें।
“ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धि मे देहि दापय स्वाहा” मंत्र का जाप करें।
कुबेर जी की कृपा से आर्थिक समस्याएं समाप्त होती हैं।
तृतीया पर भोजन और परवल का परहेज
धार्मिक मान्यता के अनुसार, तृतीया तिथि पर परवल का सेवन करने से शत्रु बढ़ते हैं। इसलिए इस दिन परवल खाने से बचना चाहिए।
सारांश:
गुरुवार को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। वहीं, तृतीया पर माता गौरी और कुबेर देवता की पूजा से ऐश्वर्य और सौभाग्य प्राप्त होता है। इन उपायों को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से न केवल आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।
धार्मिक महत्व: गुरुवार और तृतीया तिथि को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और माता गौरी की पूजा के साथ कुबेर देवता की आराधना से सुख, समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन पूजाओं और उपायों का महत्व और उन्हें सही तरीके से करने की विधि।