दिल्ली चुनाव के बीच गुजरात में बीजेपी का परचम लहराया
जब देश की निगाहें दिल्ली में हो रहे चुनावों पर टिकी थीं, तब गुजरात से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक बड़ी खबर आई। राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने 215 सीटों पर बिना किसी मुकाबले के जीत दर्ज कर ली। इतना ही नहीं, हलोल, भचाऊ, जाफराबाद और बांटवा नगरपालिकाओं में भी बीजेपी ने निर्विरोध जीत का दावा किया है।
इन सीटों पर 16 फरवरी को मतदान होना था, लेकिन विपक्षी दलों के मैदान छोड़ने के कारण बीजेपी को पहले ही विजयी घोषित कर दिया गया। गुजरात में बीजेपी की यह अभूतपूर्व सफलता न केवल उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) का प्रभाव लगातार घटता जा रहा है।

गुजरात स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत: बिना लड़े 215 सीटों पर कब्जा, कांग्रेस-आप ने डाले हथियार!
बीजेपी की निर्विरोध जीत कैसे हुई?
गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने जूनागढ़ नगर निगम, 66 नगरपालिकाओं, तीन तालुका पंचायतों (कठलाल, कापड़वंज और गांधीनगर) और अन्य स्थानीय निकायों के लिए चुनावों की घोषणा की थी।
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 4 फरवरी थी। इस दौरान विपक्षी दलों—कांग्रेस और आप—ने या तो अपने प्रत्याशी ही नहीं उतारे या फिर नामांकन वापस ले लिया। इससे बीजेपी के कई उम्मीदवार निर्विरोध विजयी घोषित कर दिए गए।
नगरपालिकाओं में बीजेपी की शानदार जीत
बीजेपी ने कई अहम नगरपालिकाओं में बिना किसी संघर्ष के जीत दर्ज की:
✅ हलोल नगरपालिका – 36 में से 19 सीटें
✅ भचाऊ नगरपालिका – 28 में से 22 सीटें
✅ जाफराबाद नगरपालिका – 28 में से 16 सीटें
✅ बांटवा नगरपालिका – 24 में से 15 सीटें
इसके अलावा अन्य नगरपालिकाओं में भी बीजेपी के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। यह बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि आमतौर पर स्थानीय चुनावों में कड़ी टक्कर देखने को मिलती है।
बीजेपी नेताओं ने क्या कहा?
हलोल से बीजेपी विधायक जयद्रथसिंह परमार ने इस जीत के लिए जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि “यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की नीतियों में जनता के भरोसे को दर्शाती है। गुजरात की जनता ने बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने का मन बना लिया है।”
गुजरात बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का जनाधार लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे जनता का झुकाव बीजेपी की ओर बढ़ता जा रहा है।
पंचायत चुनावों में भी बीजेपी का जलवा
बीजेपी ने न केवल नगरपालिकाओं में बल्कि पंचायत चुनावों में भी शानदार जीत दर्ज की।
📌 पंचमहल ज़िला: शिवराजपुर जिला पंचायत और सेहरा तालुका पंचायत की मांगलिया सीट पर बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध विजयी हुए। कांग्रेस और आप ने अपने प्रत्याशी ही नहीं उतारे।
📌 वडोदरा ज़िला: दशरथ-1 सीट से बीजेपी के सुनील गोपाल प्रजापति निर्विरोध विजयी हुए क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया।
जूनागढ़ नगर निगम में बीजेपी की मजबूत पकड़
गुजरात में इस बार जूनागढ़ नगर निगम ही एकमात्र नगर निगम है जहां चुनाव हो रहे हैं। यहां कुल 60 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से 9 सीटों पर बीजेपी पहले ही बिना किसी विरोध के जीत चुकी है।
बताया जा रहा है कि इन सीटों पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे, जिससे बीजेपी को आसानी से बढ़त मिल गई।
वलसाड में कांग्रेस और आप की कमजोर स्थिति
वलसाड नगर पालिका के वार्ड 8, 9 और 10 की कुल 7 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी निर्विरोध विजयी हुए।
वलसाड बीजेपी महासचिव शैलेश देसाई ने कहा:
“वलसाड में कांग्रेस पूरी तरह कमजोर हो चुकी है, जबकि आम आदमी पार्टी का कोई प्रभाव नहीं बचा है।”
इससे साफ जाहिर होता है कि गुजरात में विपक्षी दल चुनावी मुकाबले से पहले ही पीछे हट चुके हैं।
बीजेपी के भीतर ही बगावत!
जहां एक तरफ बीजेपी राज्य भर में निर्विरोध जीत का जश्न मना रही है, वहीं वडोदरा ज़िले की करजन नगरपालिका में पार्टी के भीतर ही बगावत हो गई।
टिकट न मिलने से नाराज 16 बीजेपी नेताओं ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर दिया।
इससे नाराज बीजेपी ने 26 नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निलंबित कर दिया।
वडोदरा जिला बीजेपी अध्यक्ष सतीश पटेल ने कहा:
“हमने इन नेताओं को समझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्होंने नामांकन वापस नहीं लिया, इसलिए हमें उन्हें निलंबित करना पड़ा।”
क्या कांग्रेस और आप कमजोर हो गई हैं?
गुजरात की इस चुनावी तस्वीर से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं।
बीजेपी की बिना लड़े 215 सीटों पर जीत यह साबित करती है कि विपक्षी दलों के पास चुनावी मैदान में खड़े होने के लिए भी दमखम नहीं बचा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुजरात में कांग्रेस का जनाधार तेजी से खिसक रहा है, जबकि आम आदमी पार्टी अभी तक कोई खास प्रभाव नहीं जमा पाई है।