दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जबरदस्त जीत दर्ज की है और 27 साल बाद राजधानी में सत्ता में वापसी करने जा रही है। इसके साथ ही दिल्ली को चौथा बीजेपी मुख्यमंत्री मिलने वाला है। इससे पहले 1993 से 1998 के बीच तीन बीजेपी नेता – मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब सवाल यह है कि बीजेपी किसे दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाएगी और क्या वह जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा।
मदन लाल खुराना (1993-1996) – “दिल्ली का शेर”
दिल्ली के पहले बीजेपी मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना को “दिल्ली का शेर” कहा जाता था। 1993 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 49 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत प्राप्त किया और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में दिल्ली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने सड़क, बिजली, पानी और परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के प्रयास किए। हालांकि, 1995 में हवाला कांड में उनका नाम आने के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में वे इस मामले में निर्दोष साबित हुए, लेकिन तब तक उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

दिल्ली में बनेगा बीजेपी का चौथा मुख्यमंत्री, 27 साल बाद सत्ता में वापसी
साहिब सिंह वर्मा (1996-1998) – आर्थिक और बुनियादी समस्याओं से जूझता कार्यकाल
मदन लाल खुराना के इस्तीफे के बाद साहिब सिंह वर्मा ने 27 फरवरी 1996 को मुख्यमंत्री पद संभाला। उनके बेटे परवेश साहिब सिंह वर्मा इस बार चुनाव में नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को हराकर चर्चा में आए हैं। साहिब सिंह वर्मा के कार्यकाल में कई आर्थिक और बुनियादी समस्याएं सामने आईं। बिजली और पानी की समस्या के अलावा प्याज की बढ़ती कीमतों ने जनता को प्रभावित किया। बीजेपी में आंतरिक कलह भी जारी रही, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ती गई। यही कारण था कि 1998 के चुनाव से कुछ महीने पहले उन्हें पद छोड़ना पड़ा। वे कुल दो साल और 228 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।
सुषमा स्वराज (1998) – पहली महिला मुख्यमंत्री, 52 दिन का कार्यकाल
बीजेपी की कद्दावर नेता और फायरब्रांड वक्ता सुषमा स्वराज अक्टूबर 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल मात्र 52 दिनों का रहा। उन्होंने प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए और सस्ती दरों पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए कई स्थानों पर वैन चलाईं। लेकिन यह प्रयास बीजेपी की गिरती लोकप्रियता को नहीं बचा सके। 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर सत्ता अपने हाथ में ले ली और अगले 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन किया।
27 साल बाद सत्ता में वापसी, बीजेपी के नए मुख्यमंत्री की तलाश
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है। इस चुनाव में साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश साहिब सिंह वर्मा ने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराकर अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री किसे नियुक्त करती है।
बीजेपी के सामने दिल्ली की जनता की कई अपेक्षाएं होंगी। दिल्ली की बुनियादी समस्याओं – पानी, बिजली, यातायात, प्रदूषण और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारना नए मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी की योजनाओं का मुकाबला करते हुए जनता को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना भी प्राथमिकता होगी।
क्या बीजेपी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी?
बीजेपी को इस बार दिल्ली में एक स्थिर और प्रभावी सरकार देने की जरूरत होगी। पिछली बार जब बीजेपी ने दिल्ली में सरकार चलाई थी, तब आंतरिक कलह, महंगाई और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण जनता ने 15 सालों तक कांग्रेस को सत्ता सौंप दी थी।
अगर बीजेपी इस बार जनता की उम्मीदों पर खरा उतरती है, तो यह उसकी राष्ट्रीय राजनीति में भी मजबूत पकड़ को दर्शाएगा। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी किसे दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनाती है और क्या वह राजधानी की जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा।