गोपालगंज (बिहार) | 14 फरवरी 2025
बिहार के गोपालगंज जिले में एक अनोखी और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां मामी और भांजी के रिश्ते ने सामाजिक परंपराओं को चुनौती देते हुए प्रेम विवाह का रूप ले लिया। इस रिश्ते को लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है। मामला कुचायकोट के बेलवा गांव का है, जहां रहने वाली शोभा कुमारी ने अपनी भांजी सुमन कुमारी के साथ शादी कर ली। दोनों का प्रेम-प्रसंग पिछले तीन वर्षों से चल रहा था और अब उन्होंने अपने रिश्ते को विवाह के बंधन में बांध लिया।
दुर्गा मंदिर में संपन्न हुआ विवाह
बीते 12 अगस्त 2024 को सासामुसा रेलवे स्टेशन के पास स्थित दुर्गा मंदिर में दोनों ने हिंदू रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न किया। शादी के दौरान मामी शोभा कुमारी ने पारंपरिक लाल जोड़ा पहना, जबकि भांजी सुमन कुमारी ने शर्ट और पैंट पहनकर शादी रचाई। विवाह समारोह के दौरान वरमाला डालने की रस्म निभाई गई, और फिर सुमन ने शोभा की मांग में सिंदूर भरकर सात फेरे लिए।
“हमेशा साथ रहेंगी” – शादी के बाद भावुक हुआ जोड़ा
विवाह के बाद, शोभा कुमारी ने कहा कि वे अपनी भांजी सुमन के साथ जीवनभर रहेंगी और यह विवाह उनकी आपसी सहमति से हुआ है। वहीं, सुमन कुमारी ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि “मामी ने मुझे हमेशा प्यार दिया है, और अब वे मुझे कभी नहीं छोड़ेंगी। हम साथ-साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताएंगे।”
स्थानीय समुदाय में बंटी राय, कानूनी सवाल भी खड़े हुए
इस समलैंगिक विवाह की खबर से स्थानीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान बताया, जबकि कई ग्रामीणों ने इसे समाज की परंपराओं के खिलाफ करार दिया।
वर्तमान में, भारत में समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में इस विवाह की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी को भी अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, लेकिन जब तक सरकार इस पर कोई स्पष्ट कानून नहीं बनाती, तब तक ऐसे विवाह कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं कर सकते।
समाज में बदलते रिश्तों की तस्वीर
यह घटना समाज में बदलते रिश्तों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ओर इशारा करती है। यह पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देती है और यह दर्शाती है कि प्यार लिंग, उम्र या रिश्ते की सीमाओं में बंधा नहीं होता। हाल के वर्षों में LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को लेकर देशभर में चर्चा बढ़ी है, लेकिन अभी भी ऐसे रिश्तों को कानूनी और सामाजिक मान्यता मिलनी बाकी है।
क्या इस विवाह को कानूनी सुरक्षा मिलेगी?
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के साथ रहने को अवैध नहीं माना है, लेकिन इसे विवाह की कानूनी मान्यता नहीं दी गई है। यदि शोभा और सुमन कानूनी अधिकार पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाती हैं, तो यह मामला पूरे देश में एक नई बहस को जन्म दे सकता है।
समाज और कानून के बीच फंसा प्रेम
यह मामला उन जटिलताओं को उजागर करता है जो भारतीय समाज में पारंपरिक रिश्तों और आधुनिक प्रेम संबंधों के बीच टकराव को दर्शाती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाह एक सामाजिक क्रांति का हिस्सा बनेगा या फिर समाज के दबाव में यह रिश्ता आगे चलकर टूट जाएगा।
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा