सोजत न्यूज़ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली। सोशल मीडिया और डिजिटल संचार के इस युग में अब हर शब्द का महत्व बढ़ गया है। खासकर तब, जब यह शब्द किसी महिला के सम्मान और गरिमा से जुड़े हों। हाल ही में एक अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि किसी महिला को उसकी शारीरिक बनावट या रंग-रूप को लेकर मैसेज भेजना आपत्तिजनक हो सकता है और इसे अश्लीलता की श्रेणी में रखा जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
देश की राजधानी दिल्ली में एक महिला ने अपने एक परिचित व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। महिला का आरोप था कि आरोपी ने उसे व्हाट्सएप पर कई ऐसे मैसेज भेजे, जिनमें उसके रंग-रूप और शरीर को लेकर टिप्पणी की गई थी। इनमें “आप पतली, स्मार्ट और गोरी हैं…” जैसे संदेश शामिल थे। महिला ने इसे मानसिक उत्पीड़न और अश्लील हरकत करार दिया और पुलिस में शिकायत दी।
कोर्ट ने क्या कहा?
मामला जब अदालत में पहुंचा तो आरोपी ने बचाव में कहा कि उसने कोई आपत्तिजनक या भद्दे शब्दों का प्रयोग नहीं किया है। लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि किसी महिला को उसकी काया, रंगत या शारीरिक विशेषताओं को लेकर कोई भी टिप्पणी करना उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे शब्द, चाहे सीधे तौर पर अभद्र न लगें, लेकिन वे महिला को असहज महसूस करा सकते हैं और इसे मानसिक उत्पीड़न के रूप में देखा जा सकता है।
अदालत का सख्त रुख
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि,
“महिलाओं की गरिमा और सम्मान सर्वोपरि है। किसी भी तरह के संदेश जो उनके शरीर, रंग-रूप या बनावट पर आधारित हों, वे अस्वीकार्य हैं। ऐसे संदेशों को अश्लीलता की श्रेणी में रखा जा सकता है और दोषी को कानून के तहत सजा दी जा सकती है।”
क्या है कानूनी प्रावधान?
भारतीय दंड संहिता (IPC) और आईटी एक्ट के तहत किसी महिला को अभद्र संदेश भेजना अपराध की श्रेणी में आता है।
- धारा 354A: किसी महिला पर अश्लील टिप्पणी करना या अश्लील संदेश भेजना यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आता है।
- धारा 509: किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों या हरकतों को दंडनीय अपराध माना जाता है।
- आईटी एक्ट 2000 की धारा 67: इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री भेजने पर सजा का प्रावधान है।
आरोपी को मिलेगी सजा?
कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद अब आरोपी पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। अगर दोष साबित हुआ तो आरोपी को आर्थिक दंड के साथ-साथ जेल की सजा भी हो सकती है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए अहम फैसला
यह फैसला समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि किसी भी महिला की गरिमा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डिजिटल युग में जहां टेक्स्ट और मैसेजिंग के माध्यम से संवाद होता है, वहां हर शब्द का महत्व है।
क्या सीखे समाज?
यह मामला सभी के लिए एक सीख है कि शब्दों की शक्ति को समझा जाए और किसी भी प्रकार के संदेश भेजने से पहले उनकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखा जाए। सम्मानजनक संवाद ही सभ्य समाज की पहचान है।