✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
देशभर में होली का त्योहार हर्षोल्लास और रंगों की मस्ती के साथ मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इस पर्व को मनाने की अपनी अनूठी परंपराएं हैं। कहीं फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं लट्ठमार होली होती है। लेकिन राजस्थान के उदयपुर जिले में एक ऐसा गांव है, जहां रंगों से नहीं, बल्कि बारूद से होली खेली जाती है। यहां तलवारें लहराई जाती हैं, बंदूकों से गोलियां चलाई जाती हैं और तोपों की गूंज से पूरा गांव गूंज उठता है। यह परंपरा कोई नई नहीं, बल्कि पिछले 400 वर्षों से चली आ रही है।
मेनार गांव में होती है अनूठी ‘बारूद की होली’
उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर मेनार गांव में जमराबीज पर्व के तहत ‘जबरी गैर’ नामक आयोजन होता है। धुलंडी के अगले दिन यहां ग्रामीण रंगों की जगह बारूद से होली खेलते हैं। इस परंपरा में गांव के योद्धा पारंपरिक मेवाड़ी पोशाक में सज-धजकर हवाई फायर और तोपों से गोला दागते हैं। आधी रात के बाद तलवारों की जबरी गैर निकाली जाती है, जो किसी ऐतिहासिक युद्ध का आभास कराती है। इस साल यह अद्भुत पर्व 15 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा।
मेनारिया ब्राह्मणों ने मुगलों को परास्त किया था
इतिहास के पन्नों में झांकें तो इस परंपरा की जड़ें मुगलकाल से जुड़ी हुई हैं। उस दौर में मेनार गांव में मुगलों की एक टुकड़ी मौजूद थी, जो स्थानीय लोगों पर अत्याचार करती थी। लेकिन मेनारिया ब्राह्मणों ने योजना बनाकर मुगलों को गैर के आयोजन में आमंत्रित किया। जब ढोल-नगाड़ों की धुन पर गैर शुरू हुई, तब ग्रामीणों में ऐसा जोश भर गया कि गैर ने देखते ही देखते युद्ध का रूप ले लिया।
मेनारिया ब्राह्मणों ने अपनी वीरता दिखाते हुए मुगलों को परास्त कर गांव से खदेड़ दिया। इसी विजय की याद में हर साल यहां बारूद की होली खेली जाती है, जिसे जमराबीज पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर विदेशों और दूसरे राज्यों में रहने वाले मेनारिया ब्राह्मण भी गांव लौटने लगते हैं।
बंदूकों और तोपों की गूंज से गूंजता है मेनार गांव
जमराबीज पर्व के लिए गांव के लोग बंदूकों और तलवारों की सफाई शुरू कर देते हैं। इस दिन रातभर टोपीदार बंदूकों और तोपों की गूंज सुनाई देती है। पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी पारंपरिक वेशभूषा में सजकर गांव के ओंकारेश्वर चौक पर एकत्रित होते हैं। जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता है, वैसे-वैसे उत्साह और रोमांच का स्तर चरम पर पहुंच जाता है।
400 साल पुरानी परंपरा को संजोए हुए है मेनार
मेनार का जमराबीज पर्व न सिर्फ एक परंपरा है, बल्कि वीरता, साहस और गौरव का प्रतीक भी है। यह त्योहार मेनारिया ब्राह्मणों के अदम्य साहस और ऐतिहासिक विजयगाथा की याद दिलाता है। जहां पूरे देश में रंगों की होली खेली जाती है, वहीं मेनार गांव में बारूद की होली खेली जाती है, जो इसे अनूठा और ऐतिहासिक बनाती है।