हाईकोर्ट ने इसे गंभीर यौन उत्पीड़न करार दिया, बलात्कार के प्रयास और अपराध की तैयारी में अंतर स्पष्ट किया
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी महिला के स्तन को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन यह गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बलात्कार के प्रयास और अपराध की तैयारी के बीच कानूनी अंतर को सही तरीके से समझना चाहिए।
क्या है मामला?
मामला उत्तर प्रदेश के एक जिले से जुड़ा है, जहां आरोपी ने एक महिला के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने पीड़िता के साथ जबरदस्ती करते हुए उसके स्तन को पकड़ा और पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। इस घटना के बाद पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा, तो बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं किया, इसलिए उसके खिलाफ धारा 376 के तहत मामला चलाना सही नहीं होगा।
हाईकोर्ट का अहम फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि –
- बलात्कार के प्रयास और यौन उत्पीड़न के बीच फर्क है।
- यदि कोई व्यक्ति पीड़िता के कपड़े फाड़ता है या जबरदस्ती करता है, तो यह गंभीर अपराध है, लेकिन इसे बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
- स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना गंभीर यौन उत्पीड़न है, लेकिन बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता।
- न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामलों में अपराधी को सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन सही कानूनी धाराओं के तहत।
कोर्ट के फैसले का कानूनी विश्लेषण
हाईकोर्ट ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं की व्याख्या करते हुए कहा कि –
- IPC की धारा 354 (महिला की गरिमा भंग करना) और धारा 354A (यौन उत्पीड़न) ऐसे मामलों में लागू हो सकती है।
- IPC की धारा 376 (बलात्कार) तभी लागू होगी जब बलात्कार की पुष्टि हो जाए।
- बलात्कार के प्रयास (धारा 511 के साथ 376) और अपराध की तैयारी के बीच कानूनी फर्क को स्पष्ट करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह घटना बलात्कार के प्रयास की बजाय गंभीर यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आती है।
फैसले पर प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
- कुछ लोगों का मानना है कि कोर्ट ने सही फैसला दिया क्योंकि बलात्कार के प्रयास और यौन उत्पीड़न में कानूनी अंतर होना जरूरी है।
- वहीं, महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई कि ऐसे फैसले अपराधियों को हिम्मत दे सकते हैं और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर सकते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने बलात्कार के प्रयास और यौन उत्पीड़न के बीच स्पष्ट अंतर बताया है। हालांकि, यह भी सच है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद हमेशा बनी रहनी चाहिए।
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